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श्री कृष्ण जन्म भूमि मथुरा पर अवैध रूप से बनी शाही मस्जिद के खिलाफ मथुरा कोर्ट में मामला, कोर्ट ने किया शाही मस्जिद को नोटिस

श्री कृष्ण जन्म भूमि मथुरा पर अवैध रूप से बनी शाही मस्जिद के खिलाफ मथुरा कोर्ट में मामला, कोर्ट ने किया शाही मस्जिद को नोटिस

Ajay Jain
  • Jan 1 2021 8:19PM

यूनाइटेड हिंदू फ्रंट के अंतर्राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष श्री जयभगवान गोयल ने श्री कृष्ण जन्म भूमि, मथुरा पर अवैध रूप से बनी शाही मस्जिद के खिलाफ सिविल जज सीनीयर डिवीजन, मथुरा में दायर किया मामला, कोर्ट ने किया शाही मस्जिद को नोटिस, अगली सुनवाई 22 जनवरी को
नई दिल्ली। यूनाइटेड हिंदू फ्रंट के संस्थापक श्री जयभगवान गोयल ने न्यायालय सिविल जज (सीनियर डिवीजन) नेहा भनौदिया की अदालत में मथुरा श्री कृष्ण जन्म स्थान सेवा संघ और शाही मस्जिद ईदगाह में 1968 में प्रस्तुत राजीनामा समझौता को चुनौती दी है। ठाकुर केशव देव जी बनाम इंतेखामियां कमेटी वाद में फ्रंट ने अपने साथ ठाकुर केशव देव जी ( भगवान कृष्ण ), धर्म रक्षा संघ को वादी बनाया है। राजेंद्र महेश्वरी एडवोकेट और महेंद्र प्रताप सिंह एडवोकेट ने वादी के रूप में मामला दायर किया है। इंतजा मिया कमेटी शाही मस्जिद ईदगाह, यूपी सुन्नी सेंट्रल बोर्ड आफ वकफ, श्री कृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान और श्री कृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट को प्रतिवादी बनाया गया है। दायर वाद संख्या 950 सन 2020 में कहा गया है कि भगवान श्रीकृष्ण जिनके अनेक नामों में एक नाम केशव देव भी है, का जन्म 5246 वर्ष पूर्व मथुरा में द्वापर युग में हुआ था। श्री कृष्ण अपने अत्याचारी मामा कंस का वध कर मथुरा के ना केवल स्वामी हुए बल्कि संपूर्ण बृज क्षेत्र के लोगों के आराध्य भी हो गए। भगवान श्रीकृष्ण के प्रपौत्र बृजनाभ ने उक्त स्थल पर ,जहां मौजूद कारागार में श्री कृष्ण का जन्म हुआ था ,अपने पूर्वज श्री कृष्ण के मंदिर का निर्माण कराया था। विभिन्न शोध व शिलालेखों व  इतिहास विदो के  प्रमाणिक संदर्भ ग्रंथों से ज्ञात होता है कि उक्त स्थल पर बने मंदिर को विभिन्न आक्रांताओ द्वारा क्षतिग्रस्त किया गया। बाद में अनेकों बार मंदिर का निर्माण हुआ लेकिन अलग-अलग मुगल शासकों के शासनकाल में मंदिर ध्वस्त  कर दिया गया।18 वीं शताब्दी में मराठों का प्रभुत्व उत्तर भारत में फैला परिणाम स्वरूप मथुरा पर उनका आधिपत्य हो गया। 1803 में अंग्रेजों ने मराठों को पराजित कर मथुरा पर अपना अधिकार कर लिया और यहां ईस्ट इंडिया कंपनी का शासन हो गया।1815 में कटड़ा केशव देव से प्रख्यात यह 13.37एकड़ भूमि की खुली नीलामी में बेच दिया गया। तब कुल जमीन को बनारस के राजा पटनीमल ने खरीद लिया। वह मंदिर का पुनर्निर्माण करना चाहते थे लेकिन अपने जीवन काल में यह इच्छा पूर्ण ना कर सके। प्रख्यात हिंदूविद पंडित मदन मोहन मालवीय जी जब मथुरा आए तो श्री कृष्ण जन्मस्थान की दुरावस्था से दुखी हुए। उस समय के प्रसिद्ध उद्योगपति जुगल किशोर बिरला से बात की। बिरला ने राजा  पटनीमल के उत्तराधिकारीयों से बात की। उक्त भूमि पंडित मालवीय, गोस्वामी गणेश दत्त जी, भीखन लालजी अन्ना के नाम से 8-2-1944 को क्रय कर ली गई परंतु मालवीय जी अपने जीवन काल में मंदिर निर्माण ना करा सके। बिरला ने 1951 में श्री कृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट की स्थापना की। उक्त भूमि को लेकर विभिन्न समय पर मुस्लिम पक्ष व राजा पटनीमल के उत्तराधिकारीयों के बीच मुकदमे बाजी हुई। 1967 में एक संस्था श्री कृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान का गठन किया गया। इस संस्था द्वारा एक मुकदमा संख्या 48 सन 1967 श्री कृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ बनाम शाही मस्जिद ईदगाह आदि आयोजित किया। मुकदमे में 12-10- 1968 को एक समझौता कर दिया गया जिसमें ठाकुर जी की संपत्ति के एक भाग पर गलत तौर पर कथित ईदगाह के रूप में स्ट्रक्चर खड़ा कर दिया गया। वादियों ने कहा है कि उक्त संस्था को ठाकुर जी की संपत्ति के लिए समझौता का कोई अधिकार नहीं था। यह संपत्ति विशुद्ध रूप से केशव देव जी महाराज की है अतः समझौता को निरस्त किया जाए।अदालत से मांग की गई कि कथित ईदगाह का नियंत्रण केशव देव मंदिर कमेटी को सौंपा जाए। न्यायालय निषेधाज्ञा के माध्यम से प्रतिवादियों को उक्त ढांचा से हट जाने के उपरांत कोई अन्य अतिक्रमण आदि न करने की हिदायत देवें। न्यायालय उचित समझे तो वादियों को प्रतिवादियों के विरुद्ध अन्य सुविधाएं भी प्रदान करें। मामले का सारा खर्च प्रतिवादियों से दिलाया जाए।योग्य अदालत ने प्रतिवादियों को सम्मान कर आगामी 21 जनवरी को पेश होने को कहा है।

 

Report : Ajay Jain

Location : Mathura

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