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भारत की बहनों में काट ली चीन की कलाई... राखी में चीन राख

सीमा पर तैनात वीरों का बगल खड़ी हो गईं भारत की वीरांगनायें..

Rahul Pandey
  • Aug 4 2020 8:49AM
यह वह मांग है , यह वह मुहिम है जिसके लिए सुदर्शन न्यूज़ के प्रधान संपादक सुरेश चव्हाणके जी ने अपने चैनल की आधारशिला रखते हुए ही अभियान के रूप में छेड़ दिया था.. दुनिया के सबसे बड़े दगाबाज देश चीन को जिस प्रकार भारत के जवानों ने पस्त किया था, उससे बड़ी पटकनी भारत की बहनों ने दे दी है और पूरी दुनिया में जय जय जय जय जय हे का उद्घोष गूंज गया है। ना सिर्फ सीमा पर तैनात अपने भाइयों के साथ भारत की सभी बहने खड़ी हो गई हैं बल्कि उन्होंने दगाबाज चीन की कलाई को काट लिया है.

एक बड़ी और सुखद खबर के अनुसार चीनी सामान के बहिष्कार की अखिल भारतीय व्यापारी परिसंघ (कैट) की मुहिम रंग लाई और राखी त्यौहार पर चीन के चार हजार करोड़ रुपए के राखी व्यापार काे बड़ा झटका लगा।
कैट ने 10 जून से शुरू किए गए चीनी सामान के बहिष्कार के तहत इस वर्ष राखी के पर्व को हिंदुस्तानी राखी के रूप में मनाने का आव्हान किया था जो पूर्ण रूप से सफल रहा।

इस बार एक भी राखी या राखी बनाए जाने के सामान का आयात चीन से बिल्कुल नहीं हुआ और इस अभियान का लाभ यह हुआ कि देश भर में कैट के सहयोग से भारतीय सामान से लगभग एक करोड़ राखियां निम्न वर्ग एवं घरों में काम करने तथा आंगनवाड़ी में काम करने वाली महिलाओं सहित अन्य लोगों ने अपने हाथों से अनेक प्रकार के नए-नए डिज़ाइन की राखियां बनाई।

कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने रविवार को कहा कि एक अनुमान के अनुसार देश में हर वर्ष करीब 50 करोड़ राखियों का व्यापार होता है जिसकी कीमत लगभग छह हजार करोड़ रुपए होती है जिसमें से पिछले अनेक वर्षों से चीन से प्रतिवर्ष राखी या राखी का सामान लगभग चार हजार करोड़ रुपये का आता था, जो इस वर्ष नहीं आया।

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