महाराष्ट्र में सियासी बवंडर की शुरुआत के बाद से
लगातार महाराष्ट्र सरकार पर सवाल खड़े हो रहे हैं। हालांकि, यह पहली बार नहीं कि
देश की राजनीति का रण इतना घमासान हुआ हो, यूपी में भी पहले ऐसी सियासत हो चुकी है।
यही हाल इस वार महाराष्ट्र में हुआ है। उद्धव सरकार की 37
विधायकों के हस्ताक्षर वाला पत्र महाराष्ट्र विधानसभा के उपाध्यक्ष नरहरि झिरवाल
को भेजा जा चुका है। इसमें बताया गया है, कि इन विधायकों ने आम सहमति से एकनाथ
शिंदे को अपना नेता और भारत गोगावले को व्हिप चुना है।
जानकारी के अनुसार, डिप्टी स्पीकर को भेजे गए पत्र के
बाद स्पष्ट हो चुका है कि अब शिवसेना के नाम, निशान, झंडे
और रंग पर उनका दावा बनता है। इस पत्र के बाद भी महाराष्ट्र
के विधायकों का असम के गुवाहाटी पहुँचना जारी है। यहीं के रेडिसन ब्लू होटल में
शिंदे अपने समर्थक विधायकों के साथ हैं। इनमें कुछ निर्दलीय भी है। मीडिया
रिपोर्टों में अब शिंदे समर्थक विधायकों की संख्या 50 के
करीब बताई जा रही है। साथ ही कई और विधायकों के उनके साथ आने की बात कही जा रही
है। अगर राजनीति तुष्टीकरण को देखते हुए कहा जाये तो एकनाथ शिंदे को जिस तरह से
पार्टी का समर्थन मिल रहा है तो क्या? आखिर में उद्धव ठाकरे और आदित्य
ठाकरे अकेले रह जाएँगे।
उधर शिवसेना सांसद अरविंद सावंत ने एकनाथ शिंदे समेत
12 बागी विधायकों को अयोग्य ठहराने की अर्जी दी है। जिस
पर एकनाथ शिंदे ने पलटवार में कहा, “12
विधायकों के खिलाफ कार्रवाई की अर्जी देकर आप हमें डरा नहीं सकते, क्योंकि
हम शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे के असली शिवसेना और असली शिवसेनिक हैं। इसके
अलावा, हम
कानून भी जानते हैं। इसलिए हम इस तरह की धमकियों पर ध्यान नहीं देते। विधान की
दसवीं अनुसूची के अनुसार विधायी कार्यों के लिए व्हिप की आवश्यकता होती है न कि
विधायक दल की बैठकों के लिए। इस पर सुप्रीम कोर्ट के कई फैसले हैं।”नंबर्स
नहीं होने के बावजूद अवैध समूह बनाने के लिए हम आपके खिलाफ कार्रवाई की माँग करते
हैं।
आपको बता दें कि सांसद अरविंद सावंत कि
नाराजगी कल की बैठक में विधायकों के शामिल न होने को लेकर है। उन्होंने महाराष्ट्र
विधानसभा के डिप्टी स्पीकर के समक्ष याचिका दायर कर माँग की है कि 12 विधायकों की
सदस्यता रद्द कर दी जानी चाहिए, क्योंकि
वे कल की बैठक में शामिल नहीं हुए थे। उन्होंने कहा कि बैठक से पहले नोटिस जारी
किया गया था, जिसमें कहा गया था कि अगर वह बैठक में शामिल नहीं हुए
तो संविधान के तहत कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
बता दें कि जिन विधायकों की सदस्यता रद्द करने की माँग
की गई है उनमें एकनाथ शिंदे, प्रकाश
सुर्वे, तानाजी
सावंतो, महेश
शिंदे, अब्दुल
सत्तारी, संदीप
भुमरे, भरत
गोगावाले, संजय
शिरसातो, यामिनी
यादव, अनिल
बाबरी, बालाजी
देवदास और लता चौधरी का नाम शामिल है।