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6 दिसंबर विशेष: विवादित ढांचे से लेकर राममंदिर की आधारशिला तक का सफर

आज 6 दिसंबर के दिन हिंदुओं ने अयोध्या में गुलामी की प्रतीक रही बाबरी मस्जिद को जमींदोज कर दिया था...

रजत मिश्र, उत्तर प्रदेश , Twitter: rajatkmishra1
  • Dec 6 2020 12:57PM

इनपुट- अखिल तिवारी

साल 1992 तारीख 6 दिसम्बर जिस दिन विवादित ढाँचा ढहा दिया गया... इसके  बाद लगभग हर लोकसभा चुनाव का अहम मुद्दा रहा है विवादित ढांचा और अयोध्या का राम मंदिर। 1992 छह दिसंबर को बाबरी मस्जिद को ढहाने के बाद से सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आने से पहले तक एक आग जल रही थी .. इस घटना को करीब 28 साल हो चुके हैं  हर छह दिसंबर को अयोध्या ही नहीं पूरे देश में एक अलग सा उन्माद देखने को मिलता है।

अयोध्या में 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद की तरफ लाखो कार्यसेवकों ने कूच किया और फिर देखते ही देखते विवादित ढांचे को समतल कर दिया ... इसके बाद पूरे देश मे साम्प्रदायिक हिंसा भड़क उठी.. । कारसेवकों की भीड़ के आगे केंद्र सरकार और राज्य सरकार ने  भी अपने घुटने टेक दिए थे.. 6 दिसंबर 1992 को देशभर से लाखों  कार्यसेवकों के जुबान पर एक ही उद्गोष था जय श्री राम का...

फिर सुप्रीम कोर्ट में एक लंबे अरसे के बाद फैसला आ ही गया तारीख 9 नवम्बर 2019 को सुबह 10:30 बजे अयोध्या में राम मंदिर बनने का रास्ता साफ हो गया है. देश की सबसे बड़ी अदालत ने सबसे बड़े फैसले में अयोध्या की विवादित जमीन पर रामलला विराजमान का हक माना है. जबकि मुस्लिम पक्ष को अयोध्या में ही 5 एकड़ जमीन देने का आदेश दिया गया है. पांच जजों ने लिफाफे में बंद फैसले की कॉपी पर दस्तखत किए और इसके बाद जस्टिस गोगोई ने फैसला पढ़ना शुरू किया

खाली जमीन पर नहीं बनाई गई थी मस्जिद

फैसले में ASI (भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण) का हवाला देते हुए कहा गया कि बाबरी मस्जिद का निर्माण किसी खाली जगह पर नहीं किया गया था. विवादित जमीन के नीचे एक ढांचा था और यह इस्लामिक ढांचा नहीं था. कोर्ट ने कहा कि पुरातत्व विभाग की खोज को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. हालांकि, कोर्ट ने ASI रिपोर्ट के आधार पर अपने फैसले में ये भी कहा कि मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाने की भी पुख्ता जानकारी नहीं है. लेकिन इससे आगे कोर्ट ने कहा कि मुस्लिम पक्ष विवादित जमीन पर दावा साबित करने में नाकाम रहा है.

केंद्र सरकार को ट्रस्ट बनाने का आदेश

विवादित जमीन पर रामलला का हक बताते हुए कोर्ट ने केंद्र सरकार को तीन महीने के अंदर ट्रस्ट बनाने का भी आदेश दिया. इस ट्रस्ट के पास ही मंदिर निर्माण की जिम्मेदारी होगी. यानी अब राम मंदिर का निर्माण का रास्ता साफ हो गया है और इस पर अब आगे का काम केंद्र की मोदी सरकार को करना है.

मुस्लिम पक्ष को भी जमीन

कोर्ट ने विवादित जमीन पर पूरी तरह से रामलला का हक माना है, लेकिन मुस्लिम पक्ष को भी अयोध्या में जमीन देने का आदेश दिया है. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड को अयोध्या में ही किसी उचित जगह मस्जिद निर्माण के लिए 5 एकड़ जगह दी जाए.

अब अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण बहुत तेजी से हो रहा है.. 5 अगस्त 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में मंदिर के लिए आधार शिला रख दिया है..और जल्द ही आने वाले समय राम भक्तो के एक भव्य मंदिर देखने को मिलेगा फिलहाल सभी समुदायों ने इस फैसले को स्वीकार कर लिया है और अयोध्या अमनो-चैन से विकास के रास्ते पर तेजी से आगे बढ़ रहा है।

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