ये वो पालघर है जहाँ पर २ हिन्दू संतो के साथ एक अन्य वाहन चालक को बेरहमी से मार डाला गया है. पुलिस ने इनको खुद ही हत्यारों को सौंप दिया जिसके बाद उनकी अंतिम सांस तक उनको मारा गया और उनके मृत देह पर भी लाठियां और अन्य हथियार बरसते रहे. इस मामले में हिन्दू साधुओ की मौत के बाद भी सीधे सीधे महाराष्ट्र सरकार द्वारा चेतावनी दी जाने लगी कि इसका कोई धार्मिक एंगल न निकाला जाय लेकिन उन हत्यारों की भीड़ में पुकारा गया एक सनसनीखेज नाम और इतना ही नहीं राम राम कहते संतों को मार डालने वालों के समर्थन में एक ईसाई समूह का अदालत जाना बड़े सवाल खड़े करता है न सिर्फ हत्यारों और उनके समर्थको की मंशा पर बल्कि सीधे सीधे महाराष्ट्र पुलिस और महाराष्ट्र के शासन पर सवालिया निशान लगाता है.
विदित हो कि इस बार सीधे सीधे ऊँगली धर्मांतरण कर के हिन्दुओं में ही हिन्दुओं के खिलाफ जहर भरने वालों की तरफ उठ रही है लेकिन यहाँ ये भी ध्यान रखना होगा कि महाराष्ट्र का पालघर जिला किसी भी रूप में मजहबी उन्मादियो और घुसपैठियों की हरकतों से अछूता नहीं रह गया है.. ये मामला ऐसी वर्ष अर्थात 2020 का है और माह फ़रवरी का था जब पालघर में बंगलादेशी इस घुसपैठ का खुलासा हुआ था.. बताया जा रहा है कि इनको बाकयदा स्थानीय कुछ इनके समर्थक लोगों ने ला कर बसाया था और इनको यहाँ पर नाम आदि बदल कर नौकरी और कारोबार आदि करने में गुपचुप ढंग से मदद की जा रही थी.
उस समय पुलिस ने खुद माना था कि पालघर जिले से 22 बांग्लादेशियों को गिरफ्तार किया गया था। यह सभी अवैध रूप से यहां रह रहे थे। पकड़े गए लोगों में 12 महिलाएं भी शामिल हैं। पुलिस ने बताया था कि राजोड़ी गांव में यह लोग झुग्गी में रह रहे थे। स्थानीय व्यक्ति की सूचना पर पुलिस ने छापेमारी कर इन्हें गिरफ्तार किया। पकड़े गए सभी बांग्लादेशियों पर भारतीय पासपोर्ट कानून 1920 तथा विदेशी नागरिक आधिनियम 1946 के तहत एक मामला दर्ज किया गया था। तब पुलिस ने मीडिया से बातचीत करते हुए बताया था कि पकड़े गए उन सभी में किसी भी व्यक्ति के पास कोई भी वैध दस्तावेज नहीं मिला था।