प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) रेडियो कार्यक्रम मन की बात (Mann Ki Baat) 2.0 के जरिए बातचीत की. इस दौरान पीएम मोदी ने लोगों से सावधानी जारी रखने और कोरोना के प्रति गंभीर रहने की अपील की. बता दें प्रधानमंत्री हर महीने के आखिरी रविवार को मन की बात के माध्यम से देश को संबोधित करते हैं. बीते साल मई में दोबारा सरकार बनने के बाद से प्रधानमंत्री का मन के बात का 12वां संस्करण है. इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नमो एप और माइ जीओवी पर सुझाव मांगे थे.
यहां पढ़ें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के Mann Ki Baat के संबोधन का मूल पाठ
मेरे प्यारे देशवासियों, नमस्कार.
कोरोना के प्रभाव से हमारी ‘मन की बात’ भी अछूती नहीं रही है. जब मैंने पिछली बार आपसे ‘मन की बात’ की थी, तब, passenger ट्रेनें बंद थीं, बसें बंद थीं, हवाई सेवा बंद थी. इस बार, बहुत कुछ खुल चुका है, श्रमिक special ट्रेनें चल रही हैं, अन्य special ट्रेनें भी शुरू हो गई हैं. तमाम सावधानियों के साथ, हवाई जहाज उड़ने लगे हैं, धीधीरे रे-उद्योग भी चलना शुरू हुआ है, यानी, अर्थव्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा अब चल पड़ा है, खुल गया है. ऐसे में, हमें और ज्यादा सतर्क रहने की आवश्यकता है. दो गज की दूरी का नियम हो, मुँह पर mask लगाने की बात हो, हो सके वहाँ तक, घर में रहना हो, ये सारी बातों का पालन, उसमें जरा भी ढिलाई नहीं बरतनी चाहिए.
देश में, सबके सामूहिक प्रयासों से कोरोना के खिलाफ लड़ाई बहुत मजबूती से लड़ी जा रही है. जब हम दुनिया की तरफ देखते हैं, तो, हमें अनुभव होता है कि वास्तव में भारतवासियों की उपलब्धि कितनी बड़ी है. हमारी जनसँख्या ज़्यादातर देशों से कई गुना ज्यादा है. हमारे देश में चुनौतियाँ भी भिन्न प्रकार की हैं, लेकिन, फिर भी हमारे देश में कोरोना उतनी तेजी से नहीं फ़ैल पाया, जितना दुनिया के अन्य देशों में फैला. कोरोना से होने वाली मृत्यु दर भी हमारे देश में काफी कम है.
जो नुकसान हुआ है, उसका दुःख हम सबको है. लेकिन जो कुछ भी हम बचा पाएं हैं, वो निश्चित तौर पर, देश की सामूहिक संकल्पशक्ति का ही परिणाम है. इतने बड़े देश में, हर-एक देशवासी ने, खुद, इस लड़ाई को लड़ने की ठानी है, ये पूरी मुहिम people driven है.
साथियों,
देशवासियों की संकल्पशक्ति के साथ, एक और शक्ति इस लड़ाई में हमारी सबसे बड़ी ताकत है – वो है - देशवासियों की सेवाशक्ति. वास्तव में, इस माहामारी के समय, हम भारतवासियों ने ये दिखा दिया है, कि, सेवा और त्याग का हमारा विचार, केवल हमारा आदर्श नहीं है, बल्कि, भारत की जीवनपद्धति है, और, हमारे यहाँ तो कहा गया है – सेवा परमो धर्म: