नई दिल्ली में आयोजित नेशनल क्वालिटी कॉन्क्लेव 2025 में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ऑपरेशन सिंदूर की ऐतिहासिक सफलता को लेकर बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि "हमारी ताकतवर और पेशेवर रूप से प्रशिक्षित सेनाएं उच्च गुणवत्ता वाले हथियारों से लैस थीं, इसलिए ऑपरेशन सिंदूर की सफलता सुनिश्चित हो सकी।" उन्होंने ऑपरेशन को अद्भुत और देश के लिए गौरव का विषय बताते हुए कहा कि सेना ने आतंकियों के खात्मे में ऐसी सटीकता दिखाई कि एक भी निर्दोष व्यक्ति को नुकसान नहीं पहुंचा और कोलैटरल डैमेज भी न्यूनतम रहा।
राजनाथ सिंह ने बताया कि इस मिशन में पाकिस्तान और पीओके के भीतर 9 आतंकी शिविरों को तबाह कर दिया गया और बड़ी संख्या में आतंकवादी मारे गए। उन्होंने कहा, "यह दिखाता है कि राष्ट्रीय हितों की सुरक्षा में गुणवत्ता की कितनी अहम भूमिका होती है।"
रक्षा मंत्री ने साफ किया कि भारत हमेशा संयमित और जिम्मेदार राष्ट्र के रूप में बातचीत को प्राथमिकता देता है, लेकिन अगर कोई इस संयम को कमजोरी समझता है तो उसे करारा जवाब मिलेगा। उन्होंने कहा, "देश की संप्रभुता की रक्षा में हमारी सरकार किसी भी हद तक जाने को तैयार है।"
आत्मनिर्भरता ही असली स्वतंत्रता
राजनाथ सिंह ने पीएम मोदी की ‘डिफेंस संप्रभुता’ की सोच को केंद्र में रखते हुए बताया कि 2014 से सरकार ने रक्षा उत्पादन को सशक्त बनाने के लिए निर्णायक कदम उठाए हैं। उन्होंने कहा, "अगर हम अपने हथियार विदेश से खरीदते हैं, तो अपनी सुरक्षा किसी और के हाथों में सौंपते हैं। अब भारत आत्मनिर्भर बन रहा है।"
गुणवत्ता और आत्मनिर्भरता से बनेगा ‘ब्रांड इंडिया’
रक्षा मंत्री ने कहा कि सरकार ने गुणवत्ता सुधार को प्रमुख सुधार एजेंडा बनाया है। OFB के निगमीकरण के बाद DPSU अब वैश्विक प्रतिस्पर्धा में शामिल हो चुके हैं। उन्होंने निजी रक्षा कंपनियों, MSME, अकादमिक संस्थानों और अनुसंधान संगठनों से अपील की कि मिलकर ‘ब्रांड इंडिया’ बनाएं, जो भरोसे का पर्याय बने।
राजनाथ सिंह ने कहा कि विश्व भर में पुनः शस्त्रीकरण की होड़ से हथियारों की मांग तेजी से बढ़ेगी और भारत को इस मौके का फायदा उठाना होगा। उन्होंने बताया कि 2024-25 में भारत का रक्षा निर्यात ₹24,000 करोड़ को पार कर गया है और 2029 तक यह ₹50,000 करोड़ तक पहुंचाने का लक्ष्य है।
AI, IoT और मशीन लर्निंग पर जोर
रक्षा मंत्री ने कहा कि आज के तकनीकी युग में रीयल-टाइम क्वालिटी मॉनिटरिंग के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, इंटरनेट ऑफ थिंग्स और मशीन लर्निंग जैसे उपकरणों का प्रयोग जरूरी है। उन्होंने गुणवत्ता एजेंसियों से कहा कि वे अपनी खामियों की पहचान कर उसे दूर करें।
रक्षा क्षेत्र में बड़ा कदम
कॉन्क्लेव में DGQA और उद्योग जगत के सहयोग से तैयार किया गया QA 4.0 रोडमैप प्रस्तुत किया गया। इसके तहत स्मार्ट टेस्टिंग टेक्नोलॉजी, डिजिटल डैशबोर्ड और AI आधारित एनालिटिक्स को लागू करने की योजना है। साथ ही, भारतीय सैन्य एयरवर्दीता विधेयक का ड्राफ्ट भी प्रस्तुत किया गया।
सम्मेलन में आत्मनिर्भरता की दिशा में उन्नत तकनीकों जैसे एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग, सेमीकंडक्टर और एडवांस मटेरियल्स के उपयोग पर भी चर्चा हुई। यह भारत को गोला-बारूद और सटीक प्रणाली के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाएगा।
‘क्वालिटी’ ही होगी भारत की अगली सुरक्षा दीवार
DGQA के महानिदेशक एन. मनोहरन ने कहा कि यह कॉन्क्लेव रक्षा उत्पादन और गुणवत्ता के क्षेत्र में एक नया अध्याय खोलता है। वहीं, नौसेना आयुध निरीक्षण महानिदेशक रियर एडमिरल रूपक बरुआ, डीपीएसयू के सीएमडी, MoD के वरिष्ठ अधिकारी और निजी रक्षा क्षेत्र के प्रतिनिधि भी कार्यक्रम में शामिल रहे।