ऐसा पहली बार नहीं हुआ है. इस से पहले भी जब म्यांमार के बौद्ध अपने ही धरती पर दुनिया के सबसे खौफनाक और क्रूर रोहिंग्या के खिलाफ अंतिम लड़ाई लड़ रहे थे तब ईसाइयों के इन्ही सर्वोच्च मजहबी गुरु पोप फ्रांसिस ने बौद्धों के विरुद्ध जाते हुए रोहिंग्या का समर्थन किया था.. यहाँ ये ध्यान रखना भी जरूरी है वर्तमान समय में दुनिया के तमाम ताकतवर ईसाई देश खुद आतंकी हमलो से जूझ रहे हैं.
इस बार भी उन्ही पोप फ्रांसिस ने अपने आप को चीन के खिलाफ खड़ा करते हुए वहां मौजूद झिन्झियांग प्रांत के उईगर मुस्लिमों के पक्ष में बयान देते हुए उन्हें पीड़ित और शोषित बताते हुए उनकी मदद करने के लिए अन्तराष्ट्रीय मदद की अपील की है. यद्दपि उनकी इस अपील का चीन पर कोई असर पड़ेगा अभी ये नहीं कहा जा सकता है.
ये वही पोप हैं जो कुछ समय पहले इन्स्टाग्राम पर ब्राजील की एक अर्धनग्न मॉडल की फोटो को लाइक कर के चर्चा में थे. अपनी एक नई किताब में पोप फ्रांसिस ने पहली बार चीन के मुस्लिम उइगरों के लिए आवाज उठाते हुए कहा कि वे चीन में “सताए हुए” है। “लेट अस ड्रीम: द पाथ टू ए बेटर फ्यूचर” नामक किताब में उन्होने कहा, कोविड -19 महामारी को सरकारों को स्थायी रूप से एक सार्वभौमिक बुनियादी आय स्थापित करने पर विचार करने के लिए प्रेरित करना चाहिए।
यह किताब 1 दिसंबर को बिक्री के लिए उपलब्ध हो जाएगी। किताब में फ्रांसिस आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक परिवर्तनों की बात करते हुए कहते है कि महामारी के समाप्त होने के बाद असमानताओं को दूर करने की आवश्यकता है। उन्होने कहा, “मुझे लगता है कि अक्सर सताए हुए लोग होते हैं: रोहिंग्या, गरीब उइगर, यज़ीदी।” इसके अलावा वह मुस्लिम देशों में सताए गए ईसाइयों के बारे में भी बात करते हैं।