आपको जानकर बड़ी हैरानी होगी पर ए सत्य हैं .मेहनत मज़दूरी कर अपना निबला हर कोई पा लेता हैं पर भूखो को भोजन नहीं मिलने पर झूठे भोजन ही खाना पडता हैं .
अक्सर ऐसा देखा गया हैं कि बेबस लाचार को महेनत के बाद दोजुन की रोटी भी मिलना मुश्किल हो जाती हैं .शहर के कोने चौराहे पर लोग जुटे खाना फेक देते हैं .जो जानबर को नसीब होता हैं .भीड़ बाले जग़ह पर लाचार औरत और उनके बच्चे को यही भोजन खाना पर रहा हैं .
दुसरी तरफ़ वारिश का पानी और तेज धूप से बाढ पीड़िता लोगों को अपने सामान और मबेसी की भी चिंता रहती हैं .करोना का मार भीड़ बाले जगह पर वरसाती वीमारी से लोग अलग परेशान हैं .