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जिस हाशिम फिरोजाबादी व शबीना अदीब ने शाहीन बाग़ जाकर किया था CAA व PM मोदी का विरोध ... उन्हें बुलाया जा रहा है इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के कार्यक्रम में

सवाल उठ रहे हैं कि क्या इलाहाबाद यूनिवर्सिटी का ये फैसला उन हिंदुओं व अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ नहीं है जो पाकिस्तान, बांग्लादेश व अफगानिस्तान में मजहबी उन्माद के कारण भारत की शरण लेना चाहते हैं?

Abhay Pratap
  • Aug 13 2021 1:16PM

भारत के पड़ोसी इस्लामिक मुल्क पाकिस्तान, अफगानिस्तान तथा बांग्लादेश में मजहबी चरमपंथियों द्वारा प्रताड़ित किये जाने वाले अल्पसंख्यक हिंदू, बौद्ध, सिख, जैन, ईसाई तथा पारसियों के लिए मोदी सरकार जब CAA क़ानून लेकर आई तो देश के कथित लिबरलों, अर्बन नक्सलियों तथा जिहादी मानसिकता के लोगों ने जबरदस्त हंगामा किया. दिल्ली के शाहीन बाग़ में आन्दोलन तथा प्रदर्शन के नाम पर जबरदस्त अराजकता की थी. इसके अलावा दिल्ली सहित देश की विभिन्न जगहों पर हिंसा व दंगा फसाद भी किया था.

CAA विरोध के नाम पर दिल्ली के शाहीन में मजहबी जमघट में उर्दू शायर हाशिम फिरोजाबादी तथा शबीना अदीब भी पहुंचे थे. शाहीन बाग़ जाकर इन दोनों ने न सिर्फ CAA का विरोध किया था बल्कि भारत सरकार के खिलाफ भी जमकर जहर उगला था. इस दौरान शायरी की आड़ में इनकी मजहबी शरीयत वाली मानसिकता खुलकर सामने आई थी. हाशिम फिरोजाबादी ने इस दौरान पत्रकारों पर भी अभद्र टिप्पणियां की थीं तथा उनकी उलटना तवायफों से की थी. हाशिम ने तवायफों को पत्रकारों से बेहतर बताया था लेकिन अब इन दोनों मजहबी शायरों को उत्तर प्रदेश की इलाहाबाद यूनिवर्सिटी द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में आमंत्रित किया गया है.

खबर के मुताबिक़, स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य में आज 13 अगस्त को इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में एक मुशायरा एवं कवि सम्मलेन आयोजित किया गया है. इस कार्यक्रम में शाहीन बाग़ पहुंचकर मजहबी चरमपंथियों का समर्थन करने वाले तथा पाकिस्तान, बंगलादेश व अफगानिस्तान में इस्लामिक जिहादियों द्वारा प्रताड़ित किये जाने हिंदुओं व अन्य अल्पसंख्यकों को जीवनदान देने के लिए बनाए गए कानून CAA का विरोध करने हाशिम फिरोजाबादी तथा शबीना अदीब को भी आमंत्रित किया गया है. इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के इस कदम की जबरदस्त आलोचना की जा रही है.

सवाल तो उठता है कि जो हाशिम फिरोजाबादी व शबीना अदीब CAA का विरोध करने के नाम पर हिंदू शरणार्थियों को भारत की नागरिकता देने का विरोध करते हैं, भारत सरकार के खिलाफ जहर उगलते हैं, उन हाशिम फिरोजाबदी व शबीना अदीब को उत्तर प्रदेश की एक प्रसिद्ध यूनिवर्सिटी अपने कार्यक्रम में आमंत्रित क्यों कर रही है? क्या देश में राष्ट्रवादी कवियों व शायरों की कमी है जो CAA विरोधी व शाहीन बाग़ समर्थक चरमपंथी कवियों को बुलाया गया है?

क्या इलाहाबाद यूनिवर्सिटी का ये फैसला उन हिंदुओं व अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ नहीं है जो पाकिस्तान, बांग्लादेश व अफगानिस्तान में मजहबी उन्माद के कारण भारत की शरण लेना चाहते हैं? फिलहाल इसका ज्वलंत विरोध हो रहा है तथा लोग कार्यक्रम से  हाशिम फिरोजाबादी व शबीना अदीब हटाए जाने की मांग कर रहे हैं. सवाल इलाहाबाद यूनिवर्सिटी की कुलपति संगीता श्रीवास्तव से भी है कि जिस हाशिम फिरोजबादी व शबीना अदीब ने संसद से पारित कानून CAA का विरोध किया था, पीएम मोदी के खिलाफ जहर उगला था, पत्रकारों को अपशब्द कहे थे, उन्हें यूनिवर्सिटी के कार्यक्रम में क्यों आमंत्रित किया गया है?

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