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सवाल उठ रहे हैं कि क्या इलाहाबाद यूनिवर्सिटी का ये फैसला उन हिंदुओं व अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ नहीं है जो पाकिस्तान, बांग्लादेश व अफगानिस्तान में मजहबी उन्माद के कारण भारत की शरण लेना चाहते हैं?