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नकली कलमकारों व चाटुकार इतिहासकारों द्वारा भले ही तमाम वीर व वीरांगनाओं के इतिहास को आम जनता ने जैसे तैसे छीन कर खुद से ही याद रखा हो और सच्चे सूरमाओं को विस्मृत नहीं होने दिया हो