राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत जी ने मंगलवार शाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनके आवास पर मुलाकात की। यह बैठक प्रधानमंत्री द्वारा रक्षा प्रतिष्ठान के शीर्ष अधिकारियों के साथ पहलगाम में हुए आतंकी हमले पर भारत की प्रतिक्रिया तय करने के लिए आयोजित उच्च स्तरीय बैठक के तुरंत बाद हुई। इस हमले में 26 नागरिकों की मौत हो गई थी। यह बैठक करीब डेढ़ घंटे चली।
भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव को देखते हुए इस मुलाकात को बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। पिछले सप्ताह जम्मू-कश्मीर के पहलगाम के बैसरन मैदान में पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े पांच से छह आतंकियों ने घुसपैठ कर पर्यटकों पर हमला कर दिया था। आतंकियों ने लोगों का धर्म पूछकर उन्हें निशाना बनाया, जिससे देशभर में आक्रोश फैल गया है।
इस हमले के बाद, मोहन भागवत जी ने एक सार्वजनिक कार्यक्रम में केंद्र सरकार से हमले के दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की थी। उन्होंने कहा था, "हमें कड़ी प्रतिक्रिया की उम्मीद है। हिंदू कभी किसी का धर्म पूछकर हत्या नहीं करते। हम गुस्से में हैं और हमारे दिलों में गहरा दर्द है।" प्रधानमंत्री का नाम लिए बिना भागवत जी ने यह भी कहा था कि "राजा का कर्तव्य अपने लोगों की रक्षा करना होता है। अगर कोई बुराई करता है, तो उसे सबक सिखाना आवश्यक है।"
सूत्रों के अनुसार, प्रधानमंत्री मोदी ने सशस्त्र बलों को पहलगाम आतंकी हमले पर भारत की प्रतिक्रिया के तरीके, लक्ष्य और समय तय करने के लिए पूरी परिचालन स्वतंत्रता प्रदान कर दी है। उच्च स्तरीय बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और तीनों सेनाओं के प्रमुख भी शामिल हुए। बैठक के दौरान प्रधानमंत्री ने स्पष्ट किया कि आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई राष्ट्रीय संकल्प है।
प्रधानमंत्री ने कहा, "हमारी प्रतिक्रिया कैसे होगी, इसका तरीका, लक्ष्य और समय तय करने की पूरी स्वतंत्रता हमारी सेनाओं के पास है।" इस घटनाक्रम के बाद यह संकेत मिल रहे हैं कि आने वाले दिनों में भारत आतंकियों के खिलाफ सख्त कदम उठा सकता है।