पहलगाम में हुए कायराना आतंकी हमले के बाद सम्पूर्ण भारत मातृभूमि की रक्षा के लिए एकजुट है. भारतीय सेना के वीर जवान सीमा पर अपनी जान की बाज़ी लगाकर देश की रक्षा कर रहे हैं. ऐसे में जब पूरा देश एकजुट होकर आतंक के खिलाफ खड़ा है, वहीं भारत माता का एक सच्चा सपूत, सेना का जवान, अपने ही गांव में 'लैड जिहाद' का शिकार हो रहा है. भारतीय सेना के जवान मंगला सिंह यादव की, जो उत्तर प्रदेश के निवासी हैं और वर्तमान में झारखंड की राजधानी रांची में सेवारत हैं.
मंगला सिंह ने जम्मू-कश्मीर की ऊंची चोटियों से लेकर छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित सुकमा जिले तक, हर मोर्चे पर राष्ट्र की सेवा की है. लेकिन दुख की बात यह है कि इस बहादुर सैनिक की पुश्तैनी ज़मीन पर कुछ भू-माफिया मुस्लिमों ने अवैध कब्जा कर लिया है. जवान का आरोप है कि प्रशासन की लापरवाही और राजनीतिक संरक्षण के कारण आज वह अपने ही घर में बेघर हो गया है. मंगला सिंह यादव का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें वह अपनी आपबीती बताते हुए रो पड़ते हैं.
उन्होंने सवाल उठाया है कि "जब एक फौजी की जमीन भी सुरक्षित नहीं, तो आम नागरिक किससे उम्मीद रखे?" अब सवाल बड़ा है—क्या हमारी सरकार और प्रशासन इस वीर जवान को न्याय दिलाएंगे? या एक और राष्ट्रभक्त को व्यवस्था की लापरवाही का शिकार होना पड़ेगा?
जानकारी के अनुसार, सुदर्शन न्यूज़ के पास एक वीडियो उपलब्ध है, जिसमें भारतीय सेना के जवान मंगला सिंह यादव अपनी पीड़ा साझा कर रहे हैं. उन्होंने भावुक होते हुए कहा कि मेरा नाम मंगला सिंह यादव है. मैं भूवाली सिंह यादव का पुत्र हूं और उत्तर प्रदेश के गाजीपुर ज़िले के मोहम्मदाबाद थाना क्षेत्र के एक गांव का निवासी हूं. मेरे पिता और दादा की पुश्तैनी ज़मीन इसीपुर रेलवे स्टेशन के पूर्वी हिस्से में, कल्याणपुर की ओर स्थित है. उस भूमि के तीन ओर रेलवे की ज़मीन है.
जवान मंगला सिंह यादव ने बताया कि उसी क्षेत्र में एक और हिंदू परिवार की ज़मीन भी है. लेकिन कुछ भू-माफिया, जो इस क्षेत्र के निवासी भी नहीं हैं, ने पहले उस परिवार की ज़मीन पर और अब उनकी ज़मीन पर भी अवैध कब्जा कर लिया है. उन्होंने कहा कि यह सब पिछले दो-चार वर्षों में हुआ है, जबरन कब्जा कर लिया गया. उन्होंने कहा कि मैंने लगभग 15 वर्षों तक जम्मू-कश्मीर सहित देश के अलग-अलग सीमावर्ती और नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में देश की सेवा की है. लेकिन 18 अगस्त 2019 से ये लोग मुझे परेशान कर रहे हैं. कभी ज़मीन पर जबरन ईंट-पत्थर रख देते हैं, कभी धमकी देते हैं.
उन्होंने बताया कि जब वे सोहपुर में कार्यरत थे, तब उन्होंने सीओ साहब को ड्यूटी लेटर भेजा था. इसके बाद जब छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में पोस्टिंग हुई, तब वहां से भी सीआरपीएफ कमांडेंट के माध्यम से ड्यूटी लेटर भेजा गया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. दो साल बाद उनका तबादला सुकमा से हो गया. मंगला सिंह यादव ने कहा कि उन्होंने 2019 से ही न्यायालय में मामला दायर किया हुआ है, लेकिन आज तक न्याय नहीं मिला. उन्होंने बताया कि कई बार रात में 100 से 200 लोगों की भीड़ आकर ज़मीन पर कब्जा करने की कोशिश करती है और उन्हें स्थानीय पुलिस का भी सहयोग मिलता है.
सेना के जवान मंगला सिंह यादव ने बताया कि मैं बहुत परेशान हूं. नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में देश की सेवा की है, लेकिन अब अपने ही गांव में बेसहारा हूं. मैं रो-रोकर थक गया हूं, लेकिन मेरी कोई सुनवाई नहीं हो रही है. उन्होंने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि भू-माफिया शाह आलम, आदिल, और फखरूद्दीन ने उनकी ज़मीन पर जबरन कब्जा कर उसे बेच भी दिया है. उन्होंने आगे कहा कि मैं बहुत गरीब हूं. सीआरपीएफ में नौकरी करने का मतलब है कि देश के लिए जान भी देनी पड़े, तो पीछे नहीं हटेंगे. लेकिन जब अपने ही देश में, अपने गांव में हमारी ज़मीन पर कब्जा हो जाए और कोई सुनवाई न हो—तो इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या होगा?
भारतीय सेना के जवान ने आगे कहा कि मेरे पास इतने पैसे नहीं हैं कि मैं इन भू-माफियाओं से मुकदमा लड़ सकूं. किसी तरह जीवन यापन कर रहा हूं. मुझे सरकारी ज़मीन नहीं चाहिए, बस मेरी अपनी पुश्तैनी ज़मीन वापस मिल जाए. मैं इस समय रांची में हूं, लेकिन दिन-रात घर की चिंता सताती रहती है. मैंने खाना-पीना तक छोड़ दिया है. मेरी हालत बहुत खराब हो गई है. मैं सभी देशवासियों से निवेदन करता हूं कि मेरी मदद करें. मुझे न्याय चाहिए.