मोहिनी एकादशी हिंदू पंचांग के अनुसार वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। इस वर्ष यह व्रत 7 मई 2025 को रखा जाएगा। यह एकादशी व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होती है और इसका विशेष धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व होता है। तो जानिए व्रत कथा और पूज विधि।
व्रत कथा
पौराणिक मान्यता के अनुसार, इस एकादशी का नाम 'मोहिनी' भगवान विष्णु के मोहिनी रूप से जुड़ा है। समुद्र मंथन के समय जब असुर अमृत हड़पने लगे थे, तब भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण कर अमृत देवताओं को बांटा। इस घटना से यह एकादशी "मोहिनी एकादशी" कहलाने लगी।
एक बार धर्मराज युधिष्ठिर ने श्रीकृष्ण से इस व्रत का महत्व पूछा था। श्रीकृष्ण ने कहा कि इस व्रत को करने से मनुष्य पापों से मुक्त होता है और मोक्ष की प्राप्ति करता है। मोहिनी एकादशी का व्रत सभी पापों को हरने वाला और पुण्य प्रदान करने वाला माना गया है।
पूजा विधि
व्रत रखने वाले व्यक्ति को दशमी तिथि की रात्रि से ही सात्विक आहार लेना चाहिए और ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और भगवान विष्णु की प्रतिमा को स्नान कराकर पीले वस्त्र पहनाएं।
विष्णु सहस्रनाम, गीता पाठ या विष्णु मंत्र का जाप करें – “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय”।
फल, फूल, तुलसी और पंचामृत से पूजा करें।
दिनभर उपवास करें और रात को जागरण करके प्रभु का भजन-कीर्तन करें।
द्वादशी तिथि को ब्राह्मण या जरूरतमंद को भोजन कराकर व्रत का पारण करें।
व्रत का फल
माना जाता है कि मोहिनी एकादशी व्रत करने से व्यक्ति को पूर्व जन्म के पापों से मुक्ति, मानसिक शांति और भगवद्भक्ति की प्राप्ति होती है। यह व्रत विशेष रूप से मोहमाया, बुरे कर्म और भ्रम को दूर करता है।