जिस आवाज को सुदर्शन न्यूज़ ने 8 माह पहले ही सबूतों के साथ उठाया था, अब उस पर अदालत ने भी मुहर लगा दी है। विदेश से पैसे मँगवा कर नेपाल सीमा हिंदुओं और सरकारी जमीन हड़प रहे छाँगुर पीर की याचिका इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने खारिज कर दी है। धर्म परिवर्तन के इस इंटरनेशनल रैकेट की जड़ों मे मट्ठा डाल रही उत्तर प्रदेश STF द्वारा दर्ज FIR बरकरार रहेगी। उच्च न्यायालय के आदेश के बाद अब इस FIR पर ATS को कई सवालों के जवाब खोजने होंगे।
दरअसल गुरुवार (24 अप्रैल 2025) को संदिग्ध और UP STF की FIR में बतौर मुल्जिम दर्ज महिला नसरीन उर्फ़ नीतू ने लखनऊ हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। इस याचिका में नसरीन ने खुद पर लगाए गए आरोपों को झूठा और बेबुनियाद करार देते हुए FIR रद्द करने की माँग की थी। यह याचिका न्यायमूर्ति विवेक चौधरी और न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्रा की बेंच में सुनी गई। छांगुर, नसरीन और जमालुद्दीन की तरफ से अधिवक्ता सैयद फारुख अहमद और विनोद कुमार यादव ने बहस की।
अपनी इस याचिका में नसरीन ने उत्तर प्रदेश सरकार, प्रमुख सचिव गृह के साथ UP ATS और STF के स्टाफ को विपक्षी पार्टी बनाया था। सरकार की तरफ से इस याचिका पर राज्य सरकार के A.G.A. ने बहस की। नसरीन की तरफ से पेश वकीलों ने अपने मुअक्किल को बेगुनाह बताया।उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से पेश शासकीय अधिवक्ता ने नसरीन के इन दावों को बेबुनियाद बताया। उन्होंने उच्च न्यायालय को बताया कि UP STF ने तमाम सबूतों के साथ नसरीन सहित तमाम अन्य आरोपितों के खिलाफ केस दर्ज किया है।
शासकीय अधिवक्ता ने आगे बताया कि इसी FIR पर जाँच करते हुए UP ATS अब तक महबूब और जमालुद्दीन उर्फ़ नवीन रोहरा नाम के 2 आरोपितों को गिरफ्तार भी कर चुकी है। हाईकोर्ट में यह भी बताया गया कि FIR में छांगुर, जमालुद्दीन, नसरीन सहित कई अन्य लोगों पर बेहद गंभीर धाराएँ लगी हैं। इसमें SC/ST एक्ट, गैंगरेप सहित कई अन्य गंभीर आरोप हैं। दोनों पक्षों की दलीलें सुन कर आखिरकार हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाया।
न्यायाधीशों ने नसरीन उर्फ़ नीतू की तरफ से पेश की गई दलीलों में दम नहीं पाया। अदालत ने इस बात पर भी आश्चर्य जताया कि साल 2015 में इस्लाम कबूल करने के बावजूद लगभग 10 वर्षों से नसरीन अब तक नीतू नाम का ही प्रयोग क्यों करती रही ? अदालत ने STF की FIR में दर्ज उस लाइन का भी जिक्र किया जिसमें आरोप लगाया गया है कि नसरीन बन चुकी नीतू ऐसा लोगों को धोखा देने के मकसद कर कर रही थी। यहाँ तक कि वो पासपोर्ट, पैन कार्ड जैसे बेहद जरूरी कागजातों में नसरीन के बजाय नीतू ही बनी रही।
अदालत की कार्रवाई में इस बात का भी जिक्र है कि नसरीन के 8 ऐसे बैंक खाते भी मिले हैं जिसमें भारी लेन-देन हुआ है। संयुक्त अरब अमीरात में अपने धर्मपरिवर्तन की जो तारीख 16 नवंबर 2015 नसरीन ने बता रखी है, STF का दावा है कि पासपोर्ट के हिसाब से उस दिन वो वहाँ थी ही नहीं। नसरीन, छांगुर और उसके गिरोह के बाकी सदस्यों द्वारा अन्य हिन्दुओं पर इस्लाम कबूल करने का दबाव भी डाला गया जिसका जिक्र FIR के हवाले से न्यायाधीशों ने किया है।
लखनऊ हाईकोर्ट ने अपने निर्णय में इस बात का भी जिक्र किया है कि अपने कई बैंक खातों में हुए भारी-भरकम लेन-देन का भी स्पष्टीकरण नसरीन ने पूरी याचिका में कहीं नहीं दिया है। आखिरकार हाईकोर्ट ने नसरीन की तरफ से दाखिल की गई याचिका को ख़ारिज कर दिया। अदालत की इन गंभीर और तल्ख़ टिप्पणियों के बाद कानूनी दांवपेंच से बच निकलने की जुगत में लगे छांगुर के पूरे गिरोह की राह बेहद मुश्किल हो चली है।
अब ATS की जिम्मेदारी बढ़ी
हाईकोर्ट की तल्ख टिप्पणियों के बाद अब उत्तर प्रदेश आतंकवाद निरोधक दस्ते (UP ATS) को कई बेहद महत्वपूर्ण सवालों के जवाब खोजने ही होंगे। नसरीन के गिरोह के खातों में 2015 यानी हिन्दू से इस्लाम कबूल करने के बाद से लगभग एक अरब रुपए आए हैं। ये पैसे कई अलग-अलग लोगों के खातों में घुमाए गए हैं। कई लोगों को तो कैश में हवाला के जरिए पैसे पहुँचाने की बात सामने आ रही है।
छांगुर की कई अघोषित सम्पत्तियाँ भी निकल कर सामने आईं हैं। महाराष्ट्र के अरबों रुपयों के एक बड़े प्रोजेक्ट के एग्रीमेंट में तो संगीता नाम की एक महिला का भी नाम सामने आया है। यह संगीता कौन है इसे अब जाँच एजेंसियों को पता करना होगा। इसके अलावा प्रोजेक्ट में अहमद मियाँ नाम के किसी बिल्डर का भी जिक्र है। वह भी छांगुर का पड़ोसी बताया जा रहा है। नेपाल की सीमा उत्तर प्रदेश से उठ कर यह नेटवर्क महाराष्ट्र में जमीनी जड़ें क्यों जमा रहा था इसका अभी तक किसी के पास कोई जवाब नहीं है।
जमालुद्दीन और महबूब की गिरफ्तारी के बाद से छांगुर और नसरीन फरार हैं। FIR में नामजद कुछ अन्य लोगों को कई बार उतरौला बाजार में घूमते देखा गया है। हाईकोर्ट की टिप्पणी के बाद अब उत्तर प्रदेश की ATS को फिलहाल 3 सवालों के जवाब जल्द खोजने होंगे। पहला सवाल है कि छांगुर गिरोह के पास खातों में इतने पैसे आए कहाँ से ? दूसरा सवाल ये है कि इस गैंग के पास इतने पैसे आए क्यों ? अंतिम और बेहद जरूरी सवाल ये रहेगा कि जो अथाह पैसे आए थे वो आखिरकार गए कहाँ ?
माना यह भी जा रहा है कि अभी इस गिरोह से जुड़े कई ऐसे लोगों के चेहरे सामने आ सकते हैं जो समाज में सफेदपोश बने घूम रहे हैं। कुछ स्थानीय प्रशासनिक लोगों की मिलीभगत से भी इंकार नहीं किया जा सकता है। इन सभी के अलावा जैसे-जैसे कुछ प्रशसनिक अधिकारियों के दम पर बना छांगुर गिरोह का खौफ कम होगा वैसे-वैसे देश के कई हिस्सों से पीड़ित और पीड़िताएँ भी सामने आ सकती हैं। फिलहाल हाईकोर्ट का छांगुर गिरोह पर चला हथौड़ा माना जा रहा कि जल्द ही इस केस में एक नजीर बनाएगा।