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...जब रामलला के लिए सीधे प्रधानमंत्री नेहरू से भिड़ गया था ये IAS अफसर

इस शुभ उत्सव पर आपको उस शख्सियत के संघर्ष के बारे में जरूर जानना चाहिए, जिसने एक जिलाधिकारी के पद पर रहकर देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था।

रजत के.मिश्र, Twitter - rajatkmishra1
  • Jan 16 2024 5:31PM

इनपुट- श्वेता सिंह, लखनऊ, twitter-@shwetamedia207

 
पूरा देश राम मंदिर निर्माण को लेकर जश्न में डूबा हुआ है। आज से 7 दिनों तक प्राण प्रतिष्ठा के लिए अयोध्या में अनुष्ठान भी प्रारम्भ हो गया है; लेकिन इस शुभ उत्सव पर आपको उस शख्सियत के संघर्ष के बारे में जरूर जानना चाहिए, जिसने एक जिलाधिकारी के पद पर रहकर देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। 
 
उस आईएएस अफसर का नाम है - केके नायर यानी कृष्ण कुमार नायर। कृष्ण कुमार नायर उस समय फैजाबाद के डीएम थे। विवादित ढांचा के गर्भगृह में रखीं मूर्तियों को हटाने के लिए 1949 में देश के पहले पीएम पंडित जवाहर लाल नेहरू से पंगा ले लिया था। 22-23 दिसंबर 1949 की रात में विवादित ढांचा में रखी गईं मूर्तियों के हटाने के आदेश को केके नायर ने मना कर दिया था। पीएम और सीएम की ओर से दो-दो बार पत्र लिखने के बाद जब केके नायर नहीं माने तो उनको निलंबित कर दिया गया था। फिर वो हाई कोर्ट गए और उन्हें हाई कोर्ट से स्टे मिला और फिर से फैजाबाद के डीएम बन गए। बहाली के बाद उन्होंने 1952 में स्वेच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली और बस्ती को अपनी कर्मभूमि बनाया था।
 
ये था पूरा मामला- 
 
दरअसल, अयोध्या में नियुक्ति के तुरंत बाद के के नायर को यूपी सरकार की तरफ से एक पत्र मिला था; जिसमें उन्हें राम जन्मभूमि मुद्दे पर एक रिपोर्ट करने के लिए कहा गया था। उन्होंने इस रिपोर्ट के प्रस्तुत करने के लिए अपने सहायक को भेजा, जिनका नाम गुरु दत्त सिंह था। गुरु दत्त सिंह ने साल 1949 के अक्टूबर महीने की 10 तारीख को अपने रिपोर्ट के जरिए राम मंदिर निर्माण की सिफारिश कर दी। 
 
उस वक्त के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने सियासी फेरबदल को देखते हुए उत्तर प्रदेश के तत्कालीन CM गोविंद वल्लभ पंत को निर्देश दिया और फिर सीएम पंत ने हिंदुओं को राम मंदिर से बेदखल करने की कोशिश की; लेकिन के के नायर अड़े रहे और सीएम के फैसले को स्वीकार करने से साफ इनकार कर दिया। इतना ही नहीं उन्होंने इस मूर्तियों को वहां से हटाने से ये कहकर मना कर दिया कि हिंदू उस स्थल पर पूजा कर रहे हैं। नायर के इस रवैये को देखते हुए सीएम गोविंद वल्लभ पंत ने जिला मजिस्ट्रेट के पद से निलंबित कर दिया। 
 
नेहरू के रवैये और के के नायर के साहस को देखते हुए लोग उनके मुरीद हो गए। हिन्दुओं की आस्था का सम्मान करने वाले के के नायर ने मंदिर निर्माण का संकल्प लिया और वो देखते ही देखते वो लाखों लोगों के प्रिय हो गए। उनके व्यवहार के चलते लोग उन्हें "नायर साहब" भी पुकारते थे।

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