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संस्कृति विश्वविद्यालय में मनाया गया ‘पराक्रम दिवस’

मथुरा संस्कृति विवि के सभागार में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में शिक्षकों और विद्यार्थियों को संबोधित करते संस्कृति स्कूल आफ एग्रीकल्चर के डीन डा. रजनीश त्यागी।

MohanPrasadMeena
  • Jan 25 2023 3:45PM

मथुरा। संस्कृति विश्वविद्यालय के मुख्य सभागार में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती के उपलक्ष्य में ‘पराक्रम दिवस’ मनाया गया। इस मौके पर वक्ताओं ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस के जीवन से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी देते हुए विद्यार्थियों से उनके देशप्रेम और पराक्रम से प्रेरणा लेने की अपेक्षा की। वक्ताओं ने विद्यार्थियों से कहा कि नेताजी के सकारात्मक संदेश आपके मुश्किल दौर में हौसला बढ़ा सकते हैं। 

संस्कृति विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर डा. एनबी चेट्टी की अध्यक्षता में संपन्न हुए इस कार्यक्रम के मुख्य वक्ता संस्कृति स्कूल आफ एग्रीकल्चर के डीन डा. रजनीश ने विद्यार्थियों से कहा कि  सुभाष चंद्र बोस देश के ऐसे स्वतंत्रता सेनानी रहे हैं, जिनसे अंग्रेज कांपते थे। उन्होंने देशवासियों को कई संदेश दिए, जो देशवासियों को हमेशा प्रेरित करते हैं। आज पूरा देश उनकी 126वीं जयंती मना रहा है। उनके सकारात्मक संदेश आपके मुश्किल दौर में हौसला बढ़ा सकते हैं। नेताती का जन्म 23 जनवरी 1897 हो हुआ था. भारत सरकार ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती के उपलक्ष्य में 23 जनवरी को ''पराक्रम दिवस'' के रूप में मनाने का फैसला किया है।

डा. रजनीश ने कहा कि सुभाष चन्द्र बोस भारत के स्वतन्त्रता संग्राम के अग्रणी तथा सबसे बड़े नेता थे। द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान, अंग्रेज़ों के खिलाफ लड़ने के लिए, उन्होंने जापान के सहयोग से आज़ाद हिन्द फ़ौज का गठन किया था। उनके द्वारा दिया गया जय हिन्द का नारा भारत का राष्ट्रीय नारा बन गया है। "तुम मुझे खून दो मैं तुम्हे आजादी दूंगा" का नारा भी उनका था जो उस समय अत्यधिक प्रचलन में आया।

डा. रजनीश ने बताया कि 21 अक्टूबर 1943 को बोस ने आज़ाद हिंद फौज के सर्वोच्च सेनापति की हैसियत से स्वतंत्र भारत की अस्थायी सरकार बनाई जिसे जर्मनी, जापान, फ़िलीपीन्स, कोरिया, चीन, इटली, मान्चुको और आयरलैंड सहित 11 देशो की सरकारों ने मान्यता दी थी। जापान ने अण्डमान और निकोबार द्वीपसमूह इस अस्थायी सरकार को दे दिए। सुभाष उन द्वीपों में गए और उनका नया नामकरण किया। आज़ाद हिन्द सरकार के 75 वर्ष पूर्ण होने पर इतिहास में पहली बार वर्ष 2018 में भारत के प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने लाल क़िला पर तिरंगा फहराया।

23 जनवरी 2021 को नेताजी की 125वीं जयंती है जिसे भारत सरकार के निर्णय के तहत पराक्रम दिवस के रूप में मनाया गया ।8 सितम्बर 2022 को नई दिल्ली में राजपथ, जिसका नामकरण कर्तव्यपथ किया गया है , पर नेताजी की विशाल प्रतिमा का अनावरण किया गया । कार्यक्रम के दौरान संस्कृति विवि के सभी स्कूलों के डीन, विभागाध्यक्ष, फैकल्टी और विद्यार्थी मौजूद रहे। कार्यक्रम का संचालन ट्रेनिंग सेल की सीनियर मैनेजर अनुजा गुप्ता ने किया।

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