लॉकडाउन 2.0 का असर लोगों के सामान्य जीवन पर नकारात्मक साबित हो रहा है . केंद्र सरकार ने 20 अप्रैल को कुछ शर्तों के साथ उत्पादकों को उत्पादन की छूट दी थी l उदहारण के तोर पर, कुछ उत्पादन की छूट दी गई है लेकिन उनको सप्लाय करने वाले उत्पादकों को नहीं, तो इस छूट का कोई मतलब नहीं है .
केंद्र सरकार की तरफ से उपभोक्ता मामलों के सचिव पवन कुमार अग्रवाल ने 4 अप्रैल को 71 ऐसी कंपनियों की सूची जारी की जो आवश्यक वस्तुओं का उत्पादन या कारोबार करती है l ऐसा करने से यह सुनिश्चत करने की कोशिश की गई की ईन कंपनियों के माल की आवाजाही मे किस प्रकार का रोक टोक ना हो l इस सूची में अडानी विल्फर, ब्रिटानिया, पेप्सिको, रिलायंस फ्रेश, एमेजान, फ्लिपकार्ट आदि शामिल हैं l हालाकि केंद्र के स्पष्ट निर्देश के बाबजूद राज्यों मे ईन कंपनियों के माल को अटकलों का सामना करना पड़ रहा है .
विप्रो के एमडी और सीईओ ए. नीमचवाला का कहना है कि, 'हमारे 93 फीसदी कर्मचारियों के लिए कस्टमर्स ने वर्क फ्रॉम होम की मंजूरी दी है और 90 फीसदी वैश्विक स्तर पर प्रोजेक्ट डिलिवरी और सेवा देने में लगे हैं .
यह बता पाना मुश्किल है कि हालात कब तक सामान्य होगे l कुछ जानकार मानते हैं कि जनवरी 2021 से ही कारोबार सामान्य हो पाएगा . राबो इक्विटी एडवाइजर्स के एमडी राजेश श्रीवास्तव मानते है,'जुलाई के बाद बीमारी का प्रकोप खत्म हो जाए तो भी कारोबार के हालात सामान्य होने में दो तिमाही और लग जाएंगे. यानी कारोबार सामान्य 1 जनवरी, 2021 के बाद ही हो सकता है .