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राम काज के लिए घर व नौकरी तक छोड़ दी थी इस ''रामलला के पटवारी'' ने

अयोध्या के राम मंदिर में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले चम्पत राय का नाम आप सबने तो सुना ही होगा लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन्होने रामलला के लिये घर और सरकारी नौकरी तक छोड़ दी थी। उनके इस त्याग की जितनी भी प्रशंसा की जाए उतना ही कम है।

रजत के.मिश्र, Twitter - rajatkmishra1
  • Jan 12 2024 5:17PM

इनपुट- श्वेता सिंह, लखनऊ, twitter-@shwetamedia207

 
अयोध्या के राम मंदिर में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले चम्पत राय का नाम आप सबने तो सुना ही होगा लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन्होने रामलला के लिये घर और सरकारी नौकरी तक छोड़ दी थी। उनके इस त्याग की जितनी भी प्रशंसा की जाए उतना ही कम है। 
 
सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद से ही चंपत राय अयोध्या में प्रभु श्री राम के भव्य मंदिर के नक्शे को अंतिम रूप देने एवं श्री राम मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की तिथि निर्धारण कराने से लेकर हजारों अति विशिष्ट अतिथियों को 22 जनवरी के लिए आमंत्रित करने तक के काम में लगे हुए हैं। 1991 में चंपत राय क्षेत्रीय संगठन मंत्री के तौर पर अयोध्या आए। साल 1996 में विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय मंत्री बने और 2002 में संयुक्त महामंत्री और उसके बाद अंतरराष्ट्रीय महामंत्री बने। इस समय वह विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं।
 
18 नवंबर 1946 को बिजनौर जनपद में नगीना के मोहल्ला सरायमीर में जन्मे चंपत राय को संघ की शाखा में जाने की प्रेरणा अपने पिता से ही मिली थी। उत्तर प्रदेश की विभिन्न जेलों में बेहद कष्टकारी जीवन व्यतीत कर जब बाहर निकले तो इस दृढ़प्रतिज्ञ युवा के आत्मबल को संघ के तत्कालीन सरसंघचालक रज्जू भैया ने पहचाना और श्री राममंदिर की लड़ाई के लिए अयोध्या जी को तैयार करने का जिम्मा उनके कंधों पर डाल दिया। चंपत राय ने प्रवक्ता पद वाली सरकारी नौकरी को लात मार दी और रामकाज में जुट गए।
 
वे अवध के गांव गांव गए और हर दरवाजे परे दस्तक दी। उन्होंने स्थानीय स्तर पर ऐसी युवा फौज खड़ी की जो हर स्थिति से लड़ने को तत्पर थी। उन्हें अवध के इतिहास, वर्तमान, भूगोल की इतनी जानकारी हो गई कि उनके साथी उन्हें ‘अयोध्या की इनसाइक्लोपीडिया’ उपनाम से बुलाने लगे। बाबरी ध्वंस से पूर्व से ही चंपत राय ने राम मंदिर पर ‘डॉक्यूमेंटल एविडेंस’ जुटाने प्रारंभ किए। लाखों पेज के दस्तावेज पढ़े और सहेजे, एक-एक ग्रंथ पढ़ा और संभाला। उनका घर इन कागजातों से भर गया, साथ ही हर जानकारी उंन्हें कंठस्थ भी हो गई। के. परासरण जी और अन्य साथी वकील जब जन्मभूमि की कानूनी लड़ाई लड़ने के लिए मैदान में उतरे तो उन्हें अकाट्य सबूत देने वाले यही व्यक्ति थे। प्यार से उन्हें लोग ‘रामलला का पटवारी’ भी कहते हैं। चंपत राय का कक्ष श्री रामजन्मभूमि केस की फाइलों और साक्ष्यों से पटा पड़ा है।

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