यह वह विषय था जिस पर संभवत इस से पहले किसी का भी ध्यान नहीं गया, अगर गलती से गया भी रहा होगा तो कद्दावर नेताओं द्वारा बनाये गए भारत में तथाकथित सेकुलरिज्म के नकली सिद्धांतों के आगे आते ही वो खामोश हो गए होंगे।
यह एक ऐसा सर्टिफिकेट है जिसके नाम को सुन कर ही इसके खिलाफ बोलने से लोग कतरा जाया करते थे क्योंकि उन्हें एहसास था कि भारत में वामपंथी व तुष्टीकरण के समर्थक उनका क्या हाल करेंगे। आखिरकार हर बार की तरह अपनी आंखों के आगे एक बड़ा षड्यंत्र होते देखकर सुरेश चव्हाणके जी खामोश नहीं बैठ पाए और उन्होंने हलाल नाम के इस सर्टिफिकेट के खिलाफ मोर्चा सच बताने व सच दिखाने का खोल ही दिया । देश के लिए एकदम नई चीज थी किसी को भी नहीं पता था कि वो जो सामान खरीद कर अपने घर ले जा रहे हैं उसके नीचे हरे रंग का हलाल नाम का सर्टिफिकेट लगा होता है ।
उन्हें ये भी नहीं पता था कि उनके द्वारा भरे गए पैसे एक हिस्सा यह हलाल नाम का सर्टिफिकेट उस जगह पहुंचा रहा है जो उनके ही खिलाफ इस्तेमाल होता था। लगातार दो बिंदास बोल कर के आखिरकार सुरेश चव्हाणके जी ने हलाल नाम के सर्टिफिकेट के खिलाफ आम जनता के मन में एक उत्सुकता जरूर फैला दी है । अब आम लोग कोई भी सामान खरीदने से पहले उसके अंदर हलाल सर्टिफिकेट जरूर देख रहे हैं और आपस में यह बात चर्चा का विषय बन चुकी है कि इतने दिन से आखिर वह ऐसा प्रोडक्ट क्यों खरीद रहे थे ? इसी के साथ ही वह उन दुकानदारों से ही अब जानना चाहते हैं कि सामान खरीद कर उन्हें उन्होंने हलाल तक जो धन पहुंचा पहुंचाया है उस पैसे का कहां कहां और कब कब कैसा इस्तेमाल हुआ ? फिलहाल हलाल के खिलाफ सुरेश चव्हाणके जी की मुहिम आगे भी जारी रहेगी और नित्य नए खुलासे देश की जनता को देखने के लिए मिलते रहेंगे..