कोविड-19 के कहर के बीच 20 अगस्त से शुरू हो रहे यूपी विधान मंडल के मानसून सत्र में कानून- व्यवस्था, कोरोना और कामगारों की समस्या प्रमुखता से उठने की संभावना है जिसके चलते यह मानसून सत्र काफी हंगामेदार रहेगा। कोरोना के मुद्दे पर विपक्ष सरकार को घेरने की पूरी तैयारी कर रहा है। इसके साथ ही कानून व्यवस्था पर भी विपक्ष सरकार पर हमलावर रहेगा। विकास दुबे के एनकाउंटर मामले समेत अन्य कई विषयों पर विपक्ष एकजुट होकर सरकार को घेरने की कोशिश करेगा। सोशल डिस्टेंसिंग के नियम के साथ यह विधानसभा सत्र बुलाया जा रहा है। इस सत्र में अनुपूरक बजट भी लाए जाने की संभावना है। कोविड-19 के काल में कामगारों और श्रमिकों की समस्याओं पर विपक्ष सरकार को निशाने पर लेगा, इसके साथ साथ कर्मचारी संगठन भत्तो की कटौती के खिलाफ लगातार आवाज उठा रहे हैं। कोरोना के चलते उन्होंने कोई बड़ा आंदोलन तो नहीं किया लेकिन कटौती पर अपनी नाराजगी जरूर जताते रहे हैं। जाहिर है कि विपक्ष कर्मचारियों की इस नाराजगी का राजनीतिक फायदा उठाते हुए इसे सदन में मुद्दा बनाएगा। संविदा कर्मचारियों की छटनी, श्रम कानूनों में ढील जैसे मुद्दे भी सरकार के खिलाफ हथियार बनेंगे।
विपक्ष की धार कुंद करने की भी तैयारी -
सत्र के दौरान सरकार भी यह कोशिश करेगी तर्को और तथ्यों के साथ विपक्ष की बोलती बंद की जाए। कोरोना संकटकाल में गरीबों को मुफ्त अनाज, आर्थिक मदद के साथ प्रवासी श्रमिकों को रोजी-रोटी के लिए किए गए कामों का उल्लेख करते हुए विपक्ष के आक्रमण की धार कुंद करने की कोशिश रहेगी। सरकार ने लॉकडाउन के दौरान बेरोजगार हुए कामगारों और श्रमिकों को भी रोजगार मुहैया कराने के लिए आयोग का गठन किया है साथ ही प्रदेश में रोजगार के नए अवसर तैयार करने की रूपरेखा भी बनाई है इन सारे कार्यों के लिए बजट की आवश्यकता भी है इसलिए सरकार मानसून सत्र में अनुपूरक बजट पेश कर सकती है। इसके साथ-साथ कई अन्य विधायक भी मानसून सत्र में पास कराए जाने के आसार हैं।