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सूरत की सोसाइटी में खड़ी हो गई ‘मस्जिद’, होने लगी नमाज... वक्फ’ के नाम पर हुआ संपत्ति ट्रांसफर का खेल

आपको पहले बता दें वक्फ में संपत्ति को रजिस्टर करने के लिए किसी की अनुमति की ज़रूरत नहीं है। ये एकतरफा फैसला होता है। सामान्यतः सोसाइटी के अध्यक्ष या कमिटी की अनुमति चाहिए होती है,अगर आप अपनी संपत्ति ट्रांसफर कर रहे हैं तो।

Prem Kashyap Mishra
  • Jan 24 2022 1:58PM

गुजरात के सूरत से जमीन अधिग्रहण का मामला सामने आया है। वक्फ के नाम पर किस तरीके से संपत्ति का चल अचल होता है उसका जीवंत उदहारण यह मामला है। सोशल मीडिया पर एक विडियो तैर रहा है, जिसके आधार पर आरोप लगाया गया कि ‘बजरंग दल’ के कार्यकर्ताओं ने गुजरात के सूरत के मोरा गाँव स्थित एक ‘मस्जिद’ में नमाज को रोक दिया और हंगामा किया। इसके बाद सूरत के कॉन्ग्रेस पार्षद असलम साइकिलवाला का एक फेसबुक पोस्ट आया, जिसमें उन्होंने दावा किया कि उक्त ‘शिव शक्ति सोसाइटी’ के भीतर बनी संरचना जिसमें नमाज हो रही थी, वो वक्फ बोर्ड की संपत्ति है।

आपको पहले बता दें वक्फ में संपत्ति को रजिस्टर करने के लिए किसी की अनुमति की ज़रूरत नहीं है। ये एकतरफा फैसला होता है। सामान्यतः सोसाइटी के अध्यक्ष या कमिटी की अनुमति चाहिए होती है,अगर आप अपनी संपत्ति ट्रांसफर कर रहे हैं तो। इससे अवैध करारों से बचा जा सकता है। लेकिन, कल को आपका मुस्लिम पड़ोसी अपने घर को वक्फ से रजिस्टर कर के इसे मस्जिद घोषित कर दे और वहाँ नमाज के लिए जमावड़ा लगने लगे, तो आप कुछ नहीं कर सकते।

असलम ने यह दावा किया है कि जहाँ नमाज हो रही थी, वो वक्फ बोर्ड की संपत्ति है।  उन्होंने उसे एक मस्जिद/मदरसा भी बताया। जिस जगह पर नमाज हो रही थी, वो चारुयसी तालुका के कंथा क्षेत्र में हजीरा के पास स्थित है। असलम ने दावा किया कि ‘गुजरात वक्फ बोर्ड’ की संपत्ति होने के कारण ये मस्जिद/मदरसा है। उन्होंने कहा कि इसी कारण ये मुस्लिमों के लिए एक पवित्र स्थल है। उन्होंने दावा किया कि इच्छापुर पुलिस थाने में ये सहमति बनी थी कि कोरोना दिशानिर्देशों के कारण इस जगह पर मुस्लिमों को नमाज पढ़ने की अनुमति मिलेगी।  अब इस सोसाइटी में रहने वाले और आपसास के सभी मुस्लिम यहाँ आकर नमाज पढ़ते हैं। इस फेसबुक पोस्ट में बताया गया है कि शनिवार को ही PI और PSI की मौजूदगी में एक बैठक हुई, जिसमें मोरा गाँव् के कई प्रतिष्ठित लोग मौजूद थे।

इसमें मौलाना फैयाज लटूरी, असलम साइकिलवाला, खुर्शीद सैयद और मकदूर रँगूनी जैसे कई मुस्लिम नेता भी मौजूद थे। एक वीडियो में एक स्थानीय व्यक्ति ने बताया कि कोविड-19 के खतरे से उबरने के बाद लोगों की एक बैठक होगी, जिसमें ये तय किया जाएगा कि बाहरियों को यहाँ नमाज पढ़ने की अनुमति दी जाए या नहीं।  जनवरी 2022 की शुरुआत में गाँधीनगर की संस्था ‘एकता एज लक्ष्य’ ने 33 जिलों के कलक्टरों एवं प्रमुखों को एक पत्र लिख कर आग्रह किया कि वक्फ बोर्ड को भंग किया जाए। संस्था ने आरोप लगाया था कि वक्फ बोर्ड अवध रूप से सरकारी, अर्ध सरकारी और प्राइवेट संपत्तियों को अपने कब्जे में ले रहा है। इसके लिए ‘वक्फ एक्ट, 1995’ के नियम-कानूनों का उल्लंघन किया जाता है। पत्र में लिखा था कि भारतीय सशस्त्र बलों और रेलवे के आल्वा वक्फ बोर्ड के पास ही सबसे ज्यादा संपत्ति है।

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