देशभर में लागू लॉकडाउन के कारण अर्थव्यवस्था पटरी से उतर चुकी है। इसे वापस पटरी पर लाने के लिए जहां बड़े पैकेज की आवश्यकता जताई जा रही है, वहीं इस बीच उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए बड़ा फैसला लेते हुए श्रम कानून से संबंधित कई प्रावधानों को अगले तीन वर्षों के लिए निलंबित कर दिया है। जिसके बाद यूपी में राजनीति गर्मा गई है।
'कांग्रेस, सपा श्रमिकों के सबसे बड़े दुश्मन'
कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने जहां इस बदलाव को श्रमिक विरोधी बताया है, वहीं यूपी के श्रम मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने इन पार्टियों को आड़े हाथों ले लिया। कांग्रेस और सपा को श्रमिको का सबसे बड़ा दुश्मन बताते हुए स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि वास्तव में वे श्रमिकों के सबसे बड़े दुश्मन हैं, क्योंकि वे श्रमिकों के लिए रोजगार तलाशने की प्रक्रिया का विरोध कर रहे हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि उत्तर प्रदेश में श्रम कानूनों में संशोधन को लेकर जो अध्यादेश लाया गया है उसके माध्यम से अन्य प्रदेशों में रह रहे सभी कामगारों, प्रवासी मजदूरों को राज्य में वापस लाया जा रहा है।
यूपी मेंं लाया गया अध्यादेश
श्रम कानून के प्रावधानों में संशोधन को उत्तर प्रदेश में गुरुवार को अध्यादेश लाया गया, जिसका मकसद कोरोना वायरस संक्रमण और लॉकडाउन के कारण प्रभावित हुई अर्थव्यवस्था को रफ्तार देना और निवेश को बढ़ाना बताया गया। सरकार ने कहा गया कि राष्ट्रव्यापी बंद की वजह से व्यापारिक एवं आर्थिक गतिविधियां लगभग रुक गई हैं और राज्य में निवेश के अधिक अवसर पैदा करने तथा औद्योगिक एवं आर्थिक गतिविधियों को गति प्रदान करने की आवश्यकता है। हालांकि इसमें महिलाओं एवं बच्चों से जुड़े श्रम कानून के प्रावधानों और कुछ अन्य श्रम कानूनों के लागू रहने की बात भी कही गई है। इस अध्यादेश के बाद अब यूपी में राजनीति में हलचल तेज हो गई है।