सनातन धर्म में भगवान गणेश का विशेष स्थान है. चाहे कोई भी त्योहार हो प्रथम पूज्य गणेश जी की पूजा-अर्चना किए बिना कोई त्योहार पूरा नहीं होता. सभी कार्यों की पूर्ति के लिए गणेशजी की पूजा सबसे पहले की जाती है. ऐसे में गणेश चतुर्थी के त्योहार की तो देश भर में अलग ही धुम होती है.
पौराणिक कथाओं के अनुसार, यह माना जाता है कि गणेश जी का जन्म माघ माह में चतुर्थी दिन हुआ था. तभी से माघ माह में चतुर्थी को भगवान गणेश के जन्म की तारीख गणेश चतुर्थी के रूप में मनाई जाने लगी. आज भी लोग बड़े ही उत्साह और आनंद के साथ मनाया जाता है.
इतिहास की मानें तो 1630-1680 के दौरान यानी छत्रपति शिवाजी महाराज के समय में गणेश चतुर्थी को एक सार्वजनिक समारोह के रूप में मनाया जाता था. जिसके कुछ दिनों बाद गणेश चतुर्थी बस एक पारिवारिक उत्सव बना गया. कई सालों बाद 1893 में बाल गंगाधर लोकमान्य तिलक ने गणेश चतुर्थी द्वारा पुनर्जीवित किया गया.
जिसके बाद गणेश चतुर्थी को बड़ी तैयारी के साथ एक वार्षिक घरेलू त्योहार के रूप में मनाया जाने लगा. महाराष्ट्र में अंग्रेजों के शासन के दौरान भी गणेश चतुर्थी की धूम कम नहीं हुई. गणेश विसर्जन की रस्म को बाल गंगाधर तिलकद्वारा ने दौबारा स्थापित किया.
धीरे-धीरे लोगों ने दौबारा इस उत्सव को परिवार के समारोह के बजाय समुदाय की भागीदारी के माध्यम से मनाना शुरू किया. हर समाज और समुदाय के लोग इस पर्व को एक साथ सामुदायिक त्योहार के रूप में मनाने लगे.