सुदर्शन के राष्ट्रवादी पत्रकारिता को सहयोग करे

Donation

जानें रुस के किस बयान से बढ़ सकती है भारत की चिंता... क्या तालिबान के लिए भारत काे नाराज करेगा रुस?

बुधवार को हुई इस वार्ता के बाद जो बयान जारी किया गया, जिसमें कहा जा रहा है कि मॉस्को फॉर्मैट के बयान से तालिबान को असली शासक मान लिया गया है.

Geeta
  • Oct 22 2021 4:34PM

तालिबान जब सत्ता में आया है तो रूस ने एक बार फिर मॉस्को फॉर्मैट वार्ता के लिए कई देशों को बुलाया. अमेरिका इसमें शामिल नहीं हुआ है. इसमें भारत काे भी बुलाया गया था. बुधवार को हुई इस वार्ता के बाद जो बयान जारी किया गया, जिसमें कहा जा रहा है कि मॉस्को फॉर्मैट के बयान से तालिबान को असली शासक मान लिया गया है. 

लाइव मिंट की रिपोर्ट में कहा गया कि, इस बयान में कहा गया है कि अफगानिस्तान के साथ व्यावहारिक जुड़ाव में इस देश की नई वास्तविकता को भी ध्यान में रखना होगा और अफगानिस्तान की नई सच्चाई ये है कि इसे तालिबान का प्रशासन चला रहा है. इसका मतलब यह है कि इस देश के लोगों के लिए खाद्य सहायता भेजने के लिए भी अफगानिस्तान की नई वास्तविकता को ध्यान में रखना होगा.

बता दें कि इस बयान को लेकर अभी ये साफ नहीं हुआ है कि ये बयान वहां उपस्थित देशों के बीच आम सहमति से जारी किया गया या फिर ये मेजबान रूस का इस मीटिंग को लेकर सारांश था. मालूम हाे कि रूस ने अफगानिस्तान पर वार्ता के लिए बने ट्रॉइक प्लस में भारत को नहीं रखा था. भारत को इसमें रखने की मांग भी हुई थी लेकिन रूस ने अनसुना कर दिया था. अब हालांकि, लेकिन इस बार भारत को बुलाया गया था. लेकिन तालिबान काे लेकर जाे कहा जा रहा है कि यह भारत को असहज करने वाला है. 

रूस के बयान में आगे कहा गया है कि तालिबान सरकार को शासन में सुधार और समावेशी सरकार बनाने के लिए कदम उठाने चाहिए और एक ऐसी सरकार बनाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए जो देश के सभी प्रमुख जातीय-राजनीतिक ताकतों के हितों को दर्शाती हो. बता दें कि अफगानिस्तान में तालिबान की सरकार को अब तक अंतर्राष्ट्रीय मान्यता नहीं मिली है. 

इस बयान में आगे लिखा था कि मॉस्को मीटिंग में भाग लेने वाले देशों को इस बात को लेकर खुशी थी कि तालिबान सरकार ने अपने पड़ोसी देशों, क्षेत्र के अन्य राज्यों और दुनिया के बाकी हिस्सों के खिलाफ अफगानिस्तान की धरती के उपयोग को रोकने के लिए अपनी पिछली प्रतिबद्धताओं की पुष्टि की है. हालांकि, भारत ने इस बयान पर रूस का लिहाज करते हुए कोई आपत्ति दर्ज नहीं कराई. मॉस्को फॉर्मैट के बयान में भारतीय हितों की पूरी तरह से उपेक्षा की गई है. भारत ये भी चाहता है कि वो अफगानिस्तान के भविष्य को लेकर बने अहम समूहों का हिस्सा हो. भारत की चिंता यह है कि तालिबान पाकिस्तान की कठपुतली है और अफगानिस्तान में उसकी इतनी जल्दी स्वीकार्यता किसी चुनौती से कम नहीं है. 

सहयोग करें

हम देशहित के मुद्दों को आप लोगों के सामने मजबूती से रखते हैं। जिसके कारण विरोधी और देश द्रोही ताकत हमें और हमारे संस्थान को आर्थिक हानी पहुँचाने में लगे रहते हैं। देश विरोधी ताकतों से लड़ने के लिए हमारे हाथ को मजबूत करें। ज्यादा से ज्यादा आर्थिक सहयोग करें।
Pay

ताज़ा खबरों की अपडेट अपने मोबाइल पर पाने के लिए डाउनलोड करे सुदर्शन न्यूज़ का मोबाइल एप्प

Comments

ताजा समाचार