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यूपी के केशव क्या बंगाल के चुनावी महाभारत में बीजेपी के सारथी सिद्ध होंगे?

उत्तर प्रदेश में 2017 विधानसभा का चुनाव था और पूरे देश की निगह चुनाव परिणाम पर थी और बीजेपी ऐतिहासिक आंकड़े के साथ प्रदेश में काबिज हो गई, लेकिन चुनाव के पीछे जो एक बड़ा नाम उभर कर आया वो था केशव मौर्य का जो इस समय उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री भी हैं,और इस समय लगातार बंगाल चुनाव में दौरे कर रहे हैं,और बीजेपी को काफी उम्मीद भी हैं केशव मौर्य से जिसके कारण उन्हें बंगाल चुनाव में काफी जिम्मेदारी भी दी गई है।लेकिन बड़ा सवाल ये है कि केशव मौर्या ही को क्यों बंगाल चुनाव के लिए आगे किया जा रहा है जबकि उत्तर प्रदेश और भी फायरब्रांड नेता हैं बीजेपी के लिए।

रजत. के. मिश्र, Twitter- rajatkmishra1
  • Mar 9 2021 4:29AM

इनपुट-अखिल तिवारी

उत्तर प्रदेश में 2017 विधानसभा का चुनाव था और पूरे देश की निगह  चुनाव परिणाम पर थी और बीजेपी  ऐतिहासिक आंकड़े के साथ प्रदेश में काबिज हो गई, लेकिन चुनाव के पीछे जो एक बड़ा नाम उभर कर आया वो था केशव मौर्य का जो इस समय उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री भी हैं,और इस समय लगातार बंगाल चुनाव में दौरे कर रहे हैं,और बीजेपी को काफी उम्मीद भी हैं केशव मौर्य से जिसके कारण उन्हें बंगाल चुनाव में काफी जिम्मेदारी भी दी गई है।लेकिन बड़ा सवाल ये है कि केशव मौर्या ही को क्यों बंगाल चुनाव के लिए आगे किया जा रहा है जबकि और भी फायरब्रांड नेता हैं बीजेपी के पास।

दरशल में केशव मौर्या अपनी संगठनात्मक क्षमता और आक्रमक चुनाव प्रचार शैली के लिए जाने जाते हैं,वो लगभग हर हफ्ते बंगाल में चुनाव प्रचार के लिए जा रहे हैं,इस बार वो तीन दिन के प्रवास पर हैं।केशव मौर्या सिर्फ मंचो से ही नही बल्कि जमीनी स्तर पर भी कार्यकर्ताओं की लंबी फौज खड़ी कर रहे हैं।दरशल में केशव छोटी-छोटी जातियों के घर पहुंच रहे हैं जो अबतक राजनीति में हाशिये पर थी।

केशव का हल्ला बोल।

दरशल बंगाल के चुनाव का चक्रवात काफी तेज चल रहा है,एक तरफ़ ममता बनर्जी को अपनी सियासी साख बचाने के लिए काफी दौड़ भाग करनी पड़ रही है,तो एक तरफ केशव मौर्या भी ताबड़तोड़ दौरे और रैलियाँ करे हैं,वो ममता बनर्जी के खिलाफ हल्ला बोल दिए हैं,और केशव मौर्या के रैलियों में जिस तरह से भीड़ इकट्ठी हो रही है वो टीएमसी के कार्यकर्ताओं के लिए चिंता का सबब बनता ही जा रहा है।

बंगाल में आरएसएस और बीजेपी के करुकर्ताओं की हत्याएँ।

पिछले कुछ सालों की बात की जाए तो बंगाल के अंदर आरएसएस और बीजेपी के कार्यकर्ताओं की हत्याएं हुई हैं,जिसको लेकर भी कई बार ममता बनर्जी को सवालों के कटघरे में लाकर खड़ा कर दिया कि क्या वाकई में बंगाल के अंदरकानून व्यस्था इतनी लचर है,और वहीं केशव मौर्या विश्व हिंदू परिषद के सक्रिय पदाधिकारी भी रहे हैं,और ऐसे परिवार को इकट्ठा करने की कोशशि कर रहे हैं जो अब तक दबे हुए थे या न्याय की तलाश में थे,काफी हिन्दू परिवार ऐसे हैं जो केशव के जाने से अपने आपको निश्चित ही मजबूत महसूस करेंगे।

बूथ लेवल तक केशव की पहुंच।

2014 के लोकसभा चुनाव में केशव मौर्य ने धर्मराज सिंह पटेल को लगभग 3 लाख वोटों से हराया था,तो इस बात से बखूबी अंदाजा लगाया जा सकता है कि बूथ लेवल से लेकर बोटर के घर-घर तक पहुंचने की क्षमता है केशव मौर्या के पास,जिसका बखूबी लाभ अवश्य बीजेपी को मिलेगा।दरशल में केशव मौर्या जिस क्षेत्र से आते हैं वहां पिछली सरकारों में बाहुबलियों का दबदबा रहा है,लेकिन केशव मौर्या को बखूबी आता ही कि ऐसी परिस्थितियों में किस तरह से चुनाव प्रचार और करुकर्ताओं को एक किया जा सकता है।

जिस तरह से बंगाल की अंदर टीएमसी का दबदबा था उसके खिलाफ पूरी ताकत के साथ मैदान में बीजेपी को उतरना जरूरी था,और केशव मौर्या को एक फायर ब्रांड नेता के रूप में देखा जाता है,उनके पास ऐसे अनुभव हैं जिससे विरोधियों की बोलती बंद कर दी जाए, अब आने वाला समय ही बताएगा कि उपमुख्यमंत्री कितना असरदार साबित हुए।

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