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दो पक्षों की लड़ाई में कहीं नॉएडा में न बन जाए मुरादनगर श्मशान जैसे हालात,यहाँ ऐसा हुआ तो होंगे और भी भयावह हालात

अभी कुछ समय पहले जो कुछ भी गाजियाबाद जिले के मुरादनगर में हुआ वो न सिर्फ देश बल्कि दुनिया भर में गूँज गया. दोष था अधिकारियो और ठेकेदारों का जिसमे सजा मिली उन २ दर्जन निरीहों को जिन्हें पता ही नही था कि ये स्थान किस ने बनवाया और इसमें गुणवत्ता का कितना पालन हुआ है.

Anchal Yadav
  • Jan 7 2021 4:25PM
नोएडा-अभी कुछ समय पहले जो कुछ भी गाजियाबाद जिले के मुरादनगर में हुआ वो न सिर्फ देश बल्कि दुनिया भर में गूँज गया। दोष था अधिकारियो और ठेकेदारों का जिसमे सजा मिली उन २ दर्जन निरीहों को जिन्हें पता ही नही था कि ये स्थान किस ने बनवाया और इसमें गुणवत्ता का कितना पालन हुआ है। हालात यहाँ तक बने कि जवाबदेही मुख्यमंत्री तक की तय हुई , दुःख प्रधानमन्त्री को जताना पड़ा और आरोपियों पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत एक्शन हुआ। अभी इस मामले में और अभी कार्यवाही बाकी है जिसमे माना जा रहा है कि और भी कई बड़े अधिकारी नपेंगे।

इस घटना के बाद न सिर्फ उत्तर प्रदेश शासन ने बल्कि पूरे देश के अलग अलग स्थानों के मुख्यमंत्रियों ने अपने अपने प्रदेश में निर्माण कार्य को किसी भी लालच , विवाद के साथ आंतरिक कलह से दूर रख कर निर्विवाद व् उच्च गुणवत्ता के साथ संचालित करने के आदेश दिए।

इस घटना के बाद पूरे देश में बिल्डिंग निर्माण को ले कर अलर्ट जारी हो गया जिसका असर साफ तौर पर अधिकारियो और ठेकेदारों पर देखने को मिला।लेकिन अगर कहीं इसका ज़रा सा भी असर नही दिखा है तो वो जगह है मुरादनगर के ठीक बगल पड़ने वाले नॉएडा में।

हर कोई हैरान हो जाएगा कि नॉएडा अथारिटी के अंतर्गत आने वाली एक बड़ी बिल्डिंग का निर्माण कार्य २ पक्षों की लड़ाई में फंसा पड़ा है और जब निर्धारित अवधि बीत जायेगी या पास आएगी तब ये कार्य किस गुणवत्ता से होगा इसका सम्भवतः भगवान् ही मालिक होगा।

योगी सरकार द्वारा जरा सी चूक पर ठेकेदार को ब्लैक लिस्टेड करने और संबंधित अधिकारियो को जेल भेज देने के आदेश का नॉएडा अथारिटी के अंतर्गत सेक्टर 98 में पड़ने वाले विवादित बन चुके निर्माण कार्य करवा रहे गुजरात की बड़ी फर्म और अथारिटी के अधिकारियो के कानो पर जू तक रेंगने में कामयाब न हो सका।

ये मामला है अपने साथ धोखाधड़ी का आरोप झेल रही गुजरात की बहुत बड़ी कही जाने वाली फर्म दिनेश चन्द्र R अग्रवाल इन्फ्रा प्राइवेट लिमिटेड फर्म के साथ जिसे नॉएडा अथारिटी ने अगस्त 2019 में टेंडर के तहत करोड़ो का कार्य दिया जो साईट सेक्टर 98 पुलिस चौकी क्षेत्र में आती है।

वर्ष में हजारो करोड़ का टर्नओवर करने वाली इस कम्पनी के किसी अधिकारी को बार बार सम्पर्क करने के बाद भी कोई रिस्पोंस न मिलने के चलते स्वयं से जुटाई जानकारी के अनुसार पता चला है कि दिसम्बर 2019 से शुरू हुए इस कार्य में अभी तक कोई प्रगति नही है और इसका समय तेजी से निकल रहा है।

कहना गलत नही होगा कि कार्य शुरू होने से पहले ही विवादों में आ गया है।ये जानकारी अभी तक नही आ पाई है कि नॉएडा अथारिटी और फर्म दिनेश चन्द्र R अग्रवाल इन्फ्रा प्राइवेट लिमिटेड के बीच इस काम को किसी तीसरी पार्टी को हस्तांतरित करने के आदेश थे या नहीं पर मिली जानकारी के अनुसार ये कार्य स्थानीय गजियाबाद की एक अन्य फर्म को कुछ प्रतिशत पर ट्रांसफर कर दिया गया।

स्थानीय गाजियाबाद की पार्टी को बाकायदा लिखित रूप में ये सब सौंपा गया और उसके बाद ये कार्य आर्थिक लेन देने के झमेले में पड़ कर विवादों में घिर गया। गाजियाबाद की स्थानीय फर्म का कहना है कि उसके साथ धोखाधड़ी गुजरात की फर्म ने की है और इसकी शिकायत स्थानीय थाने में की है।

यहाँ पुलिस बल का इतना सराहनीय प्रयास जरूर रहा कि सख्ती कर के किसी भी प्रकार की कानून व्यवस्था को बिगड़ने नहीं दिया वरना बताया ये जा रहा है कि एक पक्ष ने अपने बाऊंसर तक साईट पर बिठा दिए थे।इस मामले में सबसे हैरानी भरा पक्ष ये है कि इसके बाद भी अब तक नॉएडा अथारिटी द्वारा कोई ठोस कदम नही उठाये गये।

अभी तक नॉएडा अथारिटी ने इस विवाद के शांतिपूर्ण समाधान का कोई प्रयास नहीं किया और उस के चलते एक बड़े भवन का निर्माण विवादों में घिरा हुआ है। सवाल ये है कि यदि यही हालात बने रहे तो क्या आने वाले समय में कार्य की गुणवत्ता प्रभावित नहीं होगी ?

इस कार्य के उद्घाटन में खुद को पीड़ित बता रही स्थानीय गाजियाबाद की पार्टी के साथ नॉएडा अथारिटी के वरिष्ठ अधिकारियो की तस्वीरें साफ तौर पर देखी जा सकती हैं जो कम से कम इस बात की प्रमाण जरूर हैं कि स्थानीय फर्म की सहभागिता न सिर्फ गुजरात की फर्म बल्कि नॉएडा अथारिटी के अधिकारियो के संज्ञान में भी थी।

यहाँ सवाल नॉएडा अथारिटी से गुजरात की फर्म और गुजरात की फर्म से स्थानीय फर्म को मिल रहे प्रतिशत की बंदरबाँट पर भी है।इस पूरे मामले में मध्यस्थता करने में NHAI के किसी बड़े अधिकारी का भी नाम सामने आ रहा है जो खुद का पल्ला झड़ने के चक्कर में है अब इस पूरे मामले से।

सुदर्शन न्यूज़ इस मामले से जुड़े अभी ठेकेदारों के साथ अधिकारियो से भी सम्पर्क के लगातार प्रयास में है और जल्द ही इस पूरे विवाद कि जड में जा कर प्रतिशत की बंदरबाँट से ले कर कई अन्य रहस्यों से पर्दा उठेगा। ठेकेदारों की व्यक्तिगत लड़ाई व् अधिकारियो की असीमित इच्छाओ का खामियाजा जनता न भुगते ऐसा प्रयास हमारा जरूर रहेगा।

सवाल ये है कि पुलिस बल कब तक इस विवाद को अपने दम पर रोक कर रखेगा ? यदि इस झमेले से भविष्य में कार्य की गुणवत्ता प्रभावित होती है और कई वर्ष बाद मुरादनगर जैसी कोई घटना घटती है तो आने वाले समय में उसका जिम्मेदार कौन होगा ?

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