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कोरोना आपदा में जनता सेवा छोड़ अपनी सेवा में लगी रही हेमन्त सरकार- केदार हाजरा

कोरोना काल में मोदी सरकार के भरोसे ही संकट से उबरने में मदद मिली।कोरोना काल के मामले में राज्य सरकार केवल चेहरा चमकाने में लगी रही है।

Saurabh Tiwari- Twitter @SaurabhStv
  • Jan 19 2021 8:52PM
 भाजपा प्रदेश कार्यालय में जमुआ विधायक केदार हाजरा और पांकी विधायक कुशवाहा शशिभूषण मेहता ने मंगलवार को प्रेस वार्ता किया।प्रेस को सम्बोधित करते हुए विधायक केदार हाजरा ने कहा कि कोरोना काल में मोदी सरकार के भरोसे ही संकट से उबरने में मदद मिली।कोरोना काल के मामले में राज्य सरकार केवल चेहरा चमकाने में लगी रही है।
श्री हाजरा ने कहा कि केंद्र से 284 करोड़ रुपये का विशेष पैकेज झारखंड को मिला।लेकिन सरकार इसका उपयोग ढंग से नहीं कर सकी।श्री केदार हाजरा ने कहा कि राज्य सरकार ने कोरोना काल में सेवा भाव के बदले कमाऊ भाव से काम किया।उन्होंने कहा कि पीपीई किट की खरीद महंगे दामों पर किया एवं कोरोना जांच की दर भी दूसरे राज्यों की अपेक्षा अधिक रही।जिससे आम नागरिकों को आर्थिक रूप से परेशानी का सामना करना पड़ा।उन्होंने कहा कि आइसोलेशन सेंटर, कोविड सेंटरों में पानी, शौचालय की कोई व्यवस्था नहीं किया।केंद्र से मिले वेंटिलेटरों का सदुपयोग कहीं नहीं दिखा,इसके कारण अस्पतालों में अव्यवस्था का आलम रहा। 
श्री हाजरा ने कहा कि राज्य सरकार की ओर से प्रावधान है कि जो मजदूर पंजीयन कराकर बाहर जाते हैं, उनकी मृत्यु होने की स्थिति में डेढ़ लाख रुपये की सहायता राशि परिजनों को दी जानी है,यदि पंजीयन नहीं है तो एक लाख तक देना निश्चित है।लेकिन कई ऐसे जिलों में श्रमिकों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है।हाथियों से टकराव के कारण मारे जाने पर उस मृतक के परिजन को रघुवर सरकार में 4 लाख रुपये दिये जा रहे थे। 2014 से पहले यह राशि 1.50 लाख थी।लेकिन वर्तमान सरकार में राज्य के कई हिस्सों में हाथियों के कारण हुए नुकसान से मुआवजे के लिए लोग भटक रहे हैं।हाजरा ने कहा कि कंबल वितरण में घोर लापरवाही बरती गयी है,घटिया गुणवत्ता के कंबल गरीबों के बीच बांटे गये हैं। कड़ाके की ठंड के बावजूद अलाव की व्यवस्था नहीं की गयी है।इन सब पर ध्यान देने की बजाए सरकार अपनी पीठ थपथपा रही है।बेंगलुरु से मजदूरों के जत्थे को प्लेन से झारखंड भेजा गया था,इसमें इंजीनियरिंग के स्टूडेंट्स ने आपस मे मिलकर पैसा एकत्र करके भेजा था।पर हेमन्त सोरेन की सरकार खुद दुसरो के किए कार्य मे भी अपना चेहरा चमकाते रही और इसका श्रेय लेती रही।
प्रवासी श्रमिक जो बाहर से झारखंड को लौटे थे, उन्हें उनके हाल पर ही छोड़ दिया गया. रोजी रोजगार के अभाव में वे फिर से बाहर लौट गये। केंद्र सरकार ने सुनिश्चित किया था कि कोरोना संकट में कोई भूखा ना रहे,इसके लिए पिछले साल मार्च से नवंबर तक के लिए भरपूर मात्रा में 9 महीने का अनाज झारखंड को उपलब्ध कराया गया।पर राज्य में खराब पीडीएस व्यवस्था के कारण गरीबों तक अनाज तक नहीं पहुंच सका।गोदामों में ही अनाज पड़ कर सड़ गई।दीदी किचन, सामुदायिक किचन की सेवाओं पर राज्य सरकार के एक मंत्री ने ही सवाल उठा दिये थे।

कहा कि आपदा प्रबंधन राज्य सरकार पूरी तरह विफल रही है।
इस प्रेस वार्ता में पांकी विधायक कुशवाहा शिवपूजन मेहता एवं भाजपा प्रदेश मंत्री सुबोध सिंह गुड्डू उपस्थित थे।

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