जहाँ कोरोना से उपजे इस संकट काल में हर कोई सरकारी विभाग अपने अपने स्तर पर आगे बढ़ कर लोगों की मदद कर रहा है तो वहीं मीडिया भी इस मामले में बेहद सकारामक भूमिका निभा रहा है. ऐसे में कुछ ऐसे भी सामने आये हैं जो मीडिया के सम्मान को अपने कुकृत्य से कम करना चाह रहे हैं. ऐसा ही एक मामला आया है मेरठ में जहा लाक डाउन के दौर में शहर में फर्जी पत्रकारों की बाढ़ सी आ गई है। कुछ लोगों ने तो शहर में घूमने के लिए भी प्रेस के फर्जी आईकार्ड बनाकर वाहनों पर प्रेस लिखवा लिया है। ऐसे लोगों के खिलाफ पुलिस प्रशासन ने सख्ती शुरू कर दी है। सोमवार को ऐसे ही दो पत्रकारों को पुलिस ने हिरासत में लिया। पूछने पर वह जिले के डीएम और एसएसपी का नाम तक नहीं बता पाए।
लॉकडाउन के चलते पुलिस प्रशासन अब बाहर निकलने वाले लोगों पर काफी कड़ी कार्रवाई कर रहा है। लगातार ऐसे लोगों के चालान काटे जा रहे हैं जो बिना सही वजह के सड़क पर घूमते पाए गए। इसी कड़ी में सदर बाजार पुलिस के हत्थे कुछ ऐसे फर्जी पत्रकार भी चढ़ गए जो गले में प्रेस का फर्जी कार्ड डालकर घूम रहे थे। इन्होंने वाहन पर भी प्रेस लिखवा रखा था। बेगमपुल चौराहे पर पुलिस ने इन्हें चेकिंग के नाम पर रोका तो ये प्रेस में होने की धौंस दिखाने लगे। इस पर पुलिस ने सख्ती से पूछताछ की तो युवकों ने अपना नाम अजीम और दूसरे ने आसिफ बताया। एक युवक ने खुद को आठवी और दूसरे ने पांचवी पास बताया।
आठवी पास युवक अजीम ने बताया कि कुछ दिन पहले वह टेलरिंग का काम करता था, उसके बाद सात आठ महीने से फोटोग्राफरी कर रहा है। वहां खड़े बाकी पत्रकारों ने उससे जिले के एसएसपी और डीएम का नाम पूछा तो वह बगले झांकने लगा। यहां तक की मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री तक का नाम बताने में वह झेंप गया। एसओ सदर विजय गुप्ता ने बताया कि युवकों की पूछताछ के बाद मेडिकल जांच की जाएगी, इसके बाद इन्हें जेल भेजा जाएगा। पत्रकारिता के नाम पर इस तरह घूम रहे फर्जी लोगों पर पुलिस कार्रवाई जारी रहेगी। बता दें एक दिन पहले यानि रविवार को भी पुलिस ने ऐसे ही दो फर्जी पत्रकारों को गिरफ्तार किया था। वह भी पूछताछ में सही जानकारी नहीं दे सके थे।