आपको बता दे कि जो सेवा भाबना से काम करते हैं उनको आम गरीब आशा के नजर से देखते हैं .बिना किसी परदाश्ता के लोगो के काम आने बाले मुख़र्जी हमेसा अपने काम से जाने जाते हैं .
कोरोना काल मैं एनका काम लोगो के जुबान पर था .आम लोग जब भी इनको याद करते थे श्रीमान सह शरीर खुद शुई देने आ जाते थे .
शुशु और जनरल फिजिसिअल के मानक बाले डॉक्टर मुखर्जी की सोच आमलोगों को भूखे सोने से भी रोकता हैं .जब अपने दरबाजा बंद कर दे और पेट की आग को शांत करने लोग सड़क किनारे भूखे सोते थे तभी डॉक्टर मुखर्जी रात के अँधेरे मैं लोगो को रोटी खिलाने का भी काम किया था और कर रहे हैं .
शहर के सभी डॉक्टर जब अपने प्रोफशन से कोई समझौता नहीं करते उस और इस दौड़ मैं डॉक्टर मुख़र्जी बिना फ़ी लिए भी सेवा दे रहे हैं .आपने सुना होगा की डॉक्टर भगबान के रूप मैं होते हैं तो यह सही हो सकता हैं .
शासन को एनके काम को देखते हुए लोक हित मैं फुस्कित करना चाहिए .ताकी दूसरे डॉक्टर को अपना नज़रिया बदले मैं समय नहीं लगे .