महाराष्ट्र की राजनीतिक गलियों से जब से उद्धव ठाकरे की सरकार से हट कर एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने है। उस दिन से आज-तक महाराष्ट्र की सियासत में उथल पुथल मची हुई है। आपको बता दें कि एकनाथ शिंदे गुट ने चुनाव आयोग को अपनी पार्टी का चुनाव चिन्ह तय करने के लिए तीन सुझाव दिए हैं। इसमें पहली प्राथमिकता सूरज को दिया है। अगर सूरज निशान नहीं मिलने तो पीपल का पेड़ या फिर ढाल तलवार को चुनाव निशान निर्धारित करने की मांग की है।
वहीं चुनाव आयोग आज इस संबंध में अपना अंतिम फैसला लेगी और शिंदे गुट को चुनाव चिन्ह जारी करेगी। इससे पहले सोमवार को आयोग ने उद्धव ठाकरे गुट के लिए पार्टी का नाम और चुनाव निशान निर्धारित किया था।
दरअसल, सत्तारुद्ध शिवसेना से तत्कालीन मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में बगावत हो गई थी। इसके बाद एकनाथ शिंदे असली शिवसेना का दावा करते हुए बीजेपी साथ मिल कर सरकार बना ली। उधर, असली शिवसेना का दावा करते हुए उद्धव ठाकरे गुट भी कोर्ट चला गया था।
आपको बता दें कि, अब चुनाव आयोग दोनों ही गुटों की वैधता पर सुनवाई कर रहा है। इसी क्रम में चुनाव आयोग ने बाला साहेब ठाकरे के शिवसेना का नाम और चुनाव चिन्ह जब्त लिया है. वहीं, दोनों गुटों को अपनी-अपनी पार्टी का नाम और चुनाव चिन्ह तय करने के आदेश दे दिया है।
वहीं चुनाव आयोग ने चुनाव चिन्ह निर्धारित करने के लिए सीएम शिंदे गुट को तीन सुझाव देने को कहा था। जिसके बाद सीएम एकनाथ शिंदे गुट के ओर से आयोग को तीन सुझावों की लिस्ट सौंपी दी गई।
बता दें कि इससे पहले चुनाव आयोग ने सोमवार को उद्धव ठाकरे गुट की पार्टी का नाम तय करते हुए चुनाव निशान निर्धारित किया था। चुनाव आयोग ने उद्धव ठाकरे गुट को कहा कि पार्टी को शिवसेना नाम मिला है। वहीं इस पार्टी का चुनाव चिन्ह टार्च निर्धारित किया गया है। वहीं अब चुनाव आयोग के ओर से सीएम एकनाथ शिंदे गुट को चुनाव चिन्ह देना अभी बाकी है.
लेकिन देखना यह होगा कि उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे में शिवसेना के नाम पर चली आ रही आपसी बहस कहा जा कर खत्म होती है।