भारत की पहचान ही मंदिर है। यहां
पर हर कदम पर हमारी संस्कृति को उजागर करती है और देश की सुंदरता को निखारती है। हिंदू
धर्म की एक ऐसी ही सुंदरता है देव का सूर्य मंदिर। कहा जाता है कि इस मंदिर का
निर्माण देवों के शिल्पी भगवान विश्वकर्मा ने स्वयं एक रात में की थी। मंदिर में
स्थित एक शिलालेख में इस मंदिर का निर्माण त्रेता युग में 12 लाख 16 हजार वर्ष बीत जाने के बाद इसका शिलान्यास किया
गया था। इस मंदिर को इस्लामिक आक्रांता
औरंगजेब और काला पहाड़ ने ध्वस्त करने की कोशिश की थी।
आपको बता दे कि बिहार के औरंगाबाद
जिले में स्थित देव में भगवान सूर्य का यह मंदिर अति प्राचीन मंदिरों में से एक
है। एक भारत का संभवत: अकेला मंदिर है, जिसका मुख्य द्वार पूरब की दिशा
में ना होकर पश्चिम की दिशा में स्थित है। हालाँकि, इसको लेकर भी एक कहानी प्रचलित है, जिसकी चर्चा इस लेख में आगे करेंगे।
जानकारी के अनुसार, स्थानीय लोगों का मानना है कि देश के
सूर्य मंदिर के आसपास बिखरी मूर्तियों के अवशेष काला पहाड़ नाम के क्रूर शासक ने
अंजाम दिया था। काला पहाड़ का वास्तविक नाम कालाचंद राय था और वह ब्राह्मण परिवार में
पैदा हुआ था। उसने बाद में इस्लाम धर्म अपना लिया था और इस्लामी शासकों का सेनापति
बन गया था।
इतिहासकारों के अनुसार, काला
पहाड़ ने देव के सूर्य मंदिर पर हमला किया था। कहा जाता है कि काला पहाड़ ने यहाँ
भारी लूटपाट की थी और मंदिर से कीमती आभूषण और हीरे-जवाहरात आदि को लूटकर ले गया
था। कहा जाता है कि भगवान सूर्य की तीन मूर्तियों को खंडित नहीं कर पाया था। काला पहाड़ 16वीं सदी में बंगाल के शासक ‘सुलेमान
कर्रानी’ का सेनापति था। उसने ओडिशा के
जगन्नाथ पुरी मंदिर, कोणार्क मंदिर और असम के कामाख्या
मंदिर पर हमला किया था। उसने जगन्नाथ मंदिर में पूजा भी बंद करा दिया था। काला
पहाड़ को हिंदू का उत्पीड़न करने वाले एक क्रूर अत्याचारी के रूप में जाना जाता
है।