कुशीनगर के तहसील तमकुही राज ग्राम पंचायत दुमही से हैं जहा 2वर्ष पहले दुमही का लाल चन्द्रभान चौरसिया हिंदुस्तान बॉर्डर पर शहीद हो गए थे उस समय उस गांव का कोना कोना जय हिंद और बंदे मातरम से गूंज रहा था
चारो तरफ राष्ट्रवाद के नारे लग रहे थे आज उस राष्ट्रवाद के नारों का हुआ क्या हम इसलिए कह रहे हैं कि आज उस शहीद का दूसरा पुण्यतिथि हैं और आज तक जिस शहीद को सम्मान मिलना चाहिए उस शहीद को कोई सम्मान नही मिला हैं क्यू की मिट्टी की ढेर यह बता रहा है की शहीद का क्या सम्मान मिला उनके पिता भरे आंसुओ से यह बताते हैं मेरे बेटे की समाधि स्थल को नहीं बनाया गया दोहरे चरित्र का दोहरा खेल खेला गया है जो तमाम राजनीतिक धुरंधर हैं वह भी दोषी हैं और सरकार के जो तमाम नुमाइंदे आए थे
और आला अधिकारी आए थे वह भी दोषी हैं शहीदों के सम्मान में हर बात होती है हर काम होता है बार-बार राजनेता भी यह बात कहते हैं कि शहीदो के सम्मान में हर कार्य किया जाए आखिर क्यों ऐसा हो जाता है कि इस तरह की परिस्थिति उत्पन्न हो जाती है आज उस शहीद के पिता को यह इंतजार करना पड़ता है की कब कोई आला अधिकारी आएगा और शहीद बेटे का समाधि स्थल पर एक प्रतिमा लगवा देगा