आज यानी 17 अप्रैल को नवरात्र का नौंवा दिन है. नवरात्रि के सभी नौ दिन माता के नौ स्वरूपों को समर्पित होते हैं. ऐसे में आज यानी नवरात्रि के नौंवा दिन मां दुर्गा के नवम स्वरूप मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है. मां के इस स्वरूप की पूजा अर्चना करने से सभी सिद्धियां प्राप्त होती हैं इसलिए इनकी पूजा सभी देव, ऋषि-मुनि, असुर, किन्नर और गृहस्थ आश्रम वाले करते हैं. इस दिन कई भक्त अपने घरों में कुंजिकाओं को बिठाते हैं और उन्हें भोजन कराते हैं.
ऐसा है मां सिद्धिदात्री का स्वरूप
शारदीय नवरात्रि के आठ दिन पूरे हो चुके हैं और आज महानवमी पर मां शक्ति के नौवें स्वरूप यानि मां सिद्धिदात्री की पूजा-आराधना के साथ संपन्न हो जाएगा. आपको बता दें कि मां सिद्धि का अर्थ है अलौकिक शक्ति और धात्री का अर्थ है पुरस्कार देने वाली.
मां के स्वरूप की बात की जाए तो, कमल पर विराजमान चार भुजाओं वाली मां सिद्धिदात्री लाल साड़ी में विराजित हैं. इनके चारों हाथों में सुदर्शन चक्र, शंख, गदा और कमल रहता है. सिर पर ऊंचा सा मुकूट और चेहरे पर मंद मुस्कान ही मां सिद्धिदात्री की पहचान है.
भगवान शिव को मां से ही मिली हैं सिद्धियां
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान शिव ने सभी सिद्धियों को आशीर्वाद के रूप में प्राप्त करने के लिए देवी महा शक्ति की पूजा की थी. मां की कृतज्ञता से, भगवान शिव को देवी शक्ति का आधा शरीर प्राप्त हुआ था, इसलिए भगवान शिव को “अर्धनारीश्वर” भी कहा जाता है. ‘अर्धनारेश्वर’ रूप दिव्य स्त्री और पुरुष ऊर्जाओं के पवित्र एकीकरण का प्रतीक माना जाता है और इस रूप को सबसे शक्तिशाली और दिव्य रूप कहा गया है.
नवरात्रि में कन्या पूजन का महत्व
भारत में नवरात्रि पर्व की अष्टमी और नवमी तिथि का विशेष महत्व होता है क्योंकि इन दोनों ही तिथियों पर कन्या पूजन किया जाता है. कुछ लोग अष्टमी तिथि पर तो कुछ लोग नवमी तिथि पर कन्या पूजन के साथ मां की आराधना करते हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नवरात्रि की नवमी तिथि पर मां सिद्धिदात्री की विधिवत पूजा करने से धन, बल, यश के साथ सभी तरह की मनोकामनाएं पूरी होती हैं.