गौवध को रोकने के लिए कानून में संशोधन करने की सुदर्शन न्यूज़ की बहुप्रतीक्षित मांग को आज यूपी सरकार ने मान लिया है। योगी सरकार ने आज कैबिनेट में यूपी गोवध निवारण (संशोधन) अध्यादेश-2020 को मंजूरी दे दी है। उत्तर प्रदेश में गोकशी या गोवंश की तस्करी के अपराधों में सजा अब और कड़ी होगी। नए संशोधन के तहत गोवंश की तस्करी पर 10 साल तक की जेल हो सकेगी। इस अधिनियम के तहत दोबारा दोषी पाए जाने पर दोगुनी सजा होगी साथ ही अभियुक्तों के पोस्टर भी लगाए जाएंगे। अभियुक्त के पोस्टर जिसे मोहल्ले में वह सामान्यत: निवास करता हो वहां किसी महत्वपूर्ण स्थान पर चस्पा किये जायेंगे। पोस्टर ऐसे किसी सार्वजनिक स्थल पर भी लगाये जा सकते है जहां वहां नियामक संस्थाओं और अधिकारियों से खुद को छिपाता फिरता हो। अध्यादेश को राज्यपाल के पास मंजूरी के लिया भेजा जाएगा जिसके पास होने के बाद यह उत्तर प्रदेश में लागू हो सकेगा।
अध्यादेश के जरिए यूपी गोवध निवारण अधिनियम में बदलाव कर इसे और सख्त बनाया जा रहा है। मौजूदा कानून में गोवंश के वध या इस नीयत से तस्करी पर न्यूनतम सजा का प्रावधान नहीं है। अब गोकशी पर न्यूनतम 3 साल की सजा और न्यूनतम 3 लाख जुर्माना तय हो गया है। वही गोवंश को अंगभंग करने पर भी कम से कम 1 साल की सजा और 1 लाख का न्यूनतम जुर्माना होगा। नए कानून के तहत अगर तस्करी के लिए ले जाया जा रहा गोवंश जब्त किया जाता है तो एक साल तक उसके भरण-पोषण के खर्च की वसूली भी अभियुक्त से ही की कराई जाएगी। मौजूदा कानून में गोवंश या उसके मांस को ढोने वाले वाहनों, उनके मालिकों या चालकों पर कार्रवाई को लेकर कोई सजा नही थी लेकिन नए कानून के तहत अब जब तक वाहन मालिक साबित नहीं कर देंगे कि उन्हें वाहन में प्रतिबंधित मांस की जानकारी नहीं थी, वे भी दोषी माने जाएंगे और वाहन सीज कर दिया जाएगा। इस अधिनियम के तहत सभी अपराध गैरजमानती होंगे।
सरकार का कहना है कि कुल जिलों में गोकशी की बढ़ती घटनाओं और जमानत पर छूटे लोगों द्वारा फिर गोकशी करने की घटनाओं को देखते हुए कानून को सख्त किया गया है। इससे गोवंशीय पशुओं के संरक्षण में मदद मिलेगी।