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कोर्ट की दो टूक, राम-कृष्ण के बिना भारत अधूरा, अपमान बिलकुल मंजूर नहीं

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सोशल मीडिया पर भगवान राम और श्रीकृष्ण के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करने के आरोपी को दुबारा इस तरह का अपराध न करने की चेतावनी देते हुए जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा है कि जमानत अधिकार है और जेल अपवाद।

Kartikey Hastinapuri
  • Oct 10 2021 7:28AM

इलाहबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता असीमित नहीं है। संविधान के तहत कुछ प्रतिबंध भी है। अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर किसी को दूसरे की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का अधिकार नहीं है।भगवान राम और कृष्ण के खिलाफ सोशल मीडिया में अपत्तिजनक टिप्पणी के मामले में कोर्ट ने कहा कि राम के बिना भारत अधूरा है जिस देश में रह रहे हैं उस देश के महापुरुषों, संस्कृति सम्मान करना जरुरी है।

कोई ईश्वर को माने या न माने, उसे किसी की आस्था पर चोट पहुंचाने का अधिकार नहीं है।वसुधैव कुटुम्बकम की संस्कृति है हमारी।कोर्ट ने कहा हमारी संस्कृति वसुधैव कुटुंबकम् की रही है।

हम  सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामयाः।सर्वे भद्राणि पश्यंतु, मां कश्चित दुःख भाग भवेत, की कामना करने वाले लोग हैं।

'राम का अपमान बिल्कुल बर्दाश्त के लायक नहीं'

राम-कृष्ण के खिलाफ अश्लील टिप्पणी माफी योग्य नहीं है. हिन्दुओं में ही नहीं मुसलमानों में भी कृष्ण भक्त रहे हैं. कोर्ट ने उदाहरण के तौर पर बताया कि रसखान, अमीर खुसरो, आलम शेख, वाजिद अली शाह, नज़ीर अकबराबादी राम कृष्ण भक्त रहे हैं. कोर्ट ने कहा ऐसे में अभिव्यक्ति के नाम पर असीमित स्वतंत्रता नहीं दी जा सकती, और देश में अगर राम कृष्ण का अपमान होता है तो यह पूरे देश का अपमान है, जो बिल्कुल बर्दाश्त के लायक नहीं है.

धर्म न मानने वाले व्यक्ति को दूसरे की आस्था को ठेस पहुंचाने का अधिकार नहीं

कोर्ट ने कहा संविधान में मूल अधिकार दिए गए हैं। उसी में से अभिव्यक्ति की आजादी का अधिकार भी है।संविधान बहुत उदार है। धर्म न मानने वाला नास्तिक हो सकता है। इससे किसी को दूसरे की आस्था को ठेस पहुंचाने का अधिकार नहीं मिल जाता। कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के हवाले से कहा कि मानव खोपड़ी हाथ में लेकर नृत्य करने की अनुमति नहीं दी जा सकती। यह अपराध है।

कोर्ट ने कहा ईद पर गो हत्या पर पाबंदी है। हत्या करना अपराध है।सूचना प्रौद्योगिकी कानून में भावनाओं को ठेस पहुंचाने का काम गैर जमानती अपराध है।अभिव्यक्ति की आजादी असीमित नहीं है। राज्य सुरक्षा, अफवाह फैलाना, अश्लीलता फैलाना अभिव्यक्ति की आजादी नहीं, बल्कि अपराध है।

क्या था मामला

दरअसल याची का कहना था कि 28 नवंबर 2019 को किसी ने उसकी फर्जी आईडी तैयार कर सोशल मीडिया पर अश्लील पोस्ट डाली. लिहाजा, वह निर्दोष है. और यह भी तर्क दिया कि संविधान में अभिव्यक्ति की आजादी है, जिसे अपराध नहीं माना जा सकता. सरकारी वकील ने कहा कि याची अहमदाबाद अपने मामा के घर गया था.

जहां अपना सिम कार्ड मामा के लड़के के मोबाइल फोन में लगाकर अश्लील पोस्ट डाली है. मामला तूल पकड़ने के बाद जब एफआईआर दर्ज हुई तो उसने मोबाइल फोन और सिम कार्ड तोड़कर फेंक दिया. कोर्ट ने कहा संविधान में मूल अधिकार दिए गए हैं. उसी में से अभिव्यक्ति की आजादी का अधिकार भी है. हाईकोर्ट ने कहा संविधान बहुत उदार है.

धर्म न मानने वाला नास्तिक हो सकता है. इससे किसी को दूसरे की आस्था को ठेस पहुंचाने का अधिकार नहीं मिल जाता. कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के हवाले से कहा कि मानव खोपड़ी हाथ में लेकर नृत्य करने की अनुमति नहीं दी जा सकती. यह अपराध है. कोर्ट ने यह भी कहा की ईद पर गोवध पर पाबंदी है, वध करना अपराध है, सूचना प्रौद्योगिकी कानून में भावनाओं को ठेस पहुंचाने का काम गैर जमानती अपराध है.

अभिव्यक्ति की आजादी असीमित नहीं है. राज्य सुरक्षा, अफवाह फैलाना, अश्लीलता फैलाना अभिव्यक्ति की आजादी नहीं, बल्कि यह अपराध है.


 

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