The Kashmir Files: देश ही नहीं बल्कि दुनियाभर के हिंदुस्थानियों की जुबान पर ये नाम तैर रहा है. The Kashmir Files अब सिर्फ एक फिल्म का नाम भर नहीं रह गया है बल्कि ये दास्तां है इस्लामिक जिहादियों द्वारा कश्मीरी हिंदुओं पर किए गए उन बर्बरतापूर्ण अत्याचारों की, जिन्हें देश की कथित सेक्यूलर राजनीति ने हमेशा छिपाकर रखा तथा देश के सामने नहीं आने दिया.
शायद आज देश के सो कॉल्ड सेक्यूलर राजनेताओं और नकली कलमकारों को इस बात का डर था कि अगर इस्लामिक जिहादियों द्वारा किए गए कश्मीरी हिंदुओं के नरसंहार, बलात्कार और पलायन की काली सच्चाई देश के सामने आ गई तो शायद उन्होंने हिंदू-मुस्लिम भाईचारे का जो नकली आवरण अपनी राजनीति तथा दलाली के लिए ओढ़ रखा है, वह हट जाएगा, उनकी राजनीति ध्वस्त हो जाएगी, उनकी दलाली बंद हो जाएगी.
लेकिन कश्मीरी हिंदुओ के नरसंहार की फाइलों पर जो ये धूल जमी थी, उसे हटाने का काम किया है बॉलीवुड के निर्माता निर्देशक विवेक अग्निहोत्री ने. The Kashmir Files फिल्म के माध्यम से विवेक अग्निहोत्री ने न सिर्फ कश्मीरी हिंदुओं के कत्लेआम और नरसंहार को देश के सामने रखा है बल्कि हिंदुस्थान को झकझोर कर भी रख दिया है. यही कारण है कि वामपंथी मीडिया और वर्ग ने पहले मूवी को रोकने का प्रयास कियाम फिर उसे प्रोपगेंडा करार दिया लेकिन वह ऐसा करने में असफल रहे.
क्या आप सोच सकते हैं कि एक महिला के सामने उसके पति को गोलियों से भून दिया गया और उसके बाद उसके लहू से सने चावल उस महिला को ही खिला दिए जाएं? यही हुआ था. यही हुआ था उस कश्मीर में जिसे भारतमाता का मणिमुकुट कहा जाता है. क्या हुआ था भारत के स्वर्ग कहे जाने वाले कश्मीर में ? लोगों को मारकर पेड़ पर टांग दिया गया था, बच्चों को के सर के आर पार गोलियां उतार दी गई थीं, हिंदू महिला के आरा मशीन से टुकड़े कर दिए गए थे.
सुनने में ये बातें आपको झूठ लग सकती हैं लेकीन ये झूठ नहीं है बल्कि वो सच्चाई है, जिसे हमें स्वीकार करना ही होगा और इसलिए स्वीकार करना ताकि हमारा हिंदुस्थान हिंदुस्थान बना रहे. ये सच हमें इसलिए स्वीकार करना होगा ताकि कश्मीर में हुआ जो हमारे और आपके साथ न हो. ये सच हमें इसलिए स्वीकार करना होगा ताकि हमारी आनी वाली पीढ़ी हम पर थूकते हुए ये न कहे कि हमारे पूर्वजों ने हमें इतनी बड़ी त्रासदी के बारे में बताया क्यों नहीं?
ये सब हम तब स्वीकार कर पाएंगे जब हम The Kashmir Files फिल्म को देखेंगे. इस सच को हमें न सिर्फ स्वीकार करना होगा, बल्कि दुनिया को भी बताना होगा कि कश्मीरी हिन्दुओं का पलायन नहीं, बल्कि 'नरसंहार' हुआ था. हमें ये चीख चीख कर बताना होगा कि मार्तण्ड सूर्य मंदिर 'हैदर' फिल्म के 'डेविल डांस' के लिए नहीं है, बल्कि हमारे उस इतिहास को याद करने के लिए है जिसने इस मंदिर की ये दुर्दशा की. हमें ये बताना होगा कि जिस कश्मीर में केरल से चलकर आदि शंकराचार्य गए और ताप किया, जिस कश्मीर का नाम महर्षि कश्यप के नाम पर रखा गया, जिस कश्मीर में पंचतंत्र लिखा गया वो था हमारा कश्मीर जिसे सेक्यूलर राजनीति ने इस्लामिक जिहादियों द्वारा तबाह कर दिया गया.
बुजुर्ग अगर इस फिल्म को न भी देखें तो चलेगा लेकिन मेरे अनुसार देश के हर युवा को ये फिल्म अवश्य देखनी चाहिए. अपने नजदीकी थियेटर जाइए और द कश्मीरी फाइल्स फिल्म देखिए ताकि आपकी आंखों पर बंधी सेक्यूलरिज्म की नकली पट्टी हटे और आप जान सकें कि इस सेक्यूलरिज्म की आड़ में आपने क्या खोया है?
ये फिल्म आपको इसलिए भी देखनी चाहिए ताकि आप ये भी समझ सकें कि किस तरह JNU जैसे संस्थान में देशविरोध की पौध रोपी जाती है. ये फिल्म आपको इसलिए भी देखनी चाहिए ताकि आप ये भी समझ सकें कि सत्ता परिवर्तन के बाद भी आप तब सफल नहीं हो सकते जब तक व्यवस्था में बदलाव न हो. ये फिल्म आपको इसलिए भी देखनी चाहिए ताकि आपकी आंखों पर से वो पर्दा हट सके जिसके नीचे एराकी को सूफी संत बताया जाता है जबकि वह क्रूर आक्रान्ता था. ये फिल्म आपको इसलिए भी देखनी चाहिए ताकि आप ये जान सकें ललितादित्य कौन थे और कश्मीर से उनका क्या नाता है?
ये फिल्म आपको इसलिए भी देखनी चाहिए ताकि आप ये जान सकें कि महर्षि कश्यप की तपस्या के कारण इस प्रदेश का नाम कश्मीर पड़ा और उन्होंने इसे रहने लायक 'स्वर्ग' बनाया, किसी मुग़ल बादशाह या इस्लामी शासक ने नहीं. ये फिल्म आपको इसलिए देखनी चाहिए ताकि आप ये जान सकें कि आदि शंकराचार्य केरल से पैदल चल कर कश्मीर पहुंचे और हिंदू धर्म की भगवा पताका शान से फहराई. ये फिल्म आपको इसलिए भी देखनी चाहिए ताकि आप ये जान सकें जहां पंचतंत्र लिखा गया, वो कश्मीर वो पावन भूमि है जहां पंचतंत्र लिखा गया. कश्मीर ऋषि-मुनियों की भूमि है, आदि शंकराचार्य की भूमि है, विद्वजनों की भूमि है न कि सूफियों और इस्लामी आक्रांताओं की.
ये फिल्म आपको इसलिए भी देखनी चाहिए ताकि आप ये सोचने को मजबूर हों की आखिर लाखों कश्मीरी हिंदुओं के नरसंहार और पलायन को छिपाकर क्यों रखा गया? इस पर कोई फिल्म अभी तक क्यों नहीं बनी? क्या सिर्फ इसलिए क्योंकि कश्मीरी हिंदुओं का नरसंहार इस्लामिक जिहादियों ने किया था? कश्मीरी हिंदू ही नहीं बल्कि किसी भी मुगल आक्रान्ता द्वारा हिंदुओं के नरसंहार, मंदिरों के विध्वंस पर फ़िल्में क्यों नहीं बनी? महमूद गजनी से लेकर यासीन मलिक तक की जिहादी करतूतों को देश के सामने रखने के बजाय उन्हें या तो छिपाया गया, या फिर उन्हें शांति और सेक्यूलरिज्म का मसीहा बताने की कोशिश की गई. इन जिहादियों का सच न तो इतिहास ने हमें पढ़ाया और न ही समाज का आईना कही जाने वाली फिल्मों के माध्यम से बॉलीवुड ने हमें दिखाया.
The Kashmir Files फिल्म के माध्यम से विवेक अग्निहोत्री ने हमें कश्मीर में जिहादी आतंक और हिंदुओं के नरसंहार का वो सच दिखाने की कोशिश की है जो कभी हमारे सामने नहीं आया, या आने ही नहीं दिया गया. विवेक अग्निहोत्री ने The Kashmir Files फिल्म के माध्यम से हमें वो सच दिखाने की कोशिश की है मात्र 32 वर्ष पहले कश्मीरी हिंदुओं का नरसंहार और विस्थापन हुआ था जिसकी जानकारी देश के तमाम दस्तावेजों में मौजूद है लेकिन फिर भी ये तथ्य अब तक सामने क्यों नहीं आए? उन पर बात क्यों नहीं हुई? कोई तूफान क्यों नहीं उठा? देश आक्रोश से क्यों नहीं भर उठा? आपके अंदर आग क्यों नहीं जली? विवेक अग्निहोत्री की यह फिल्म वही आग जलाने आई है.
विवेक अग्निहोत्री की ये फिल्म आपकी बीमारी पर मलहम पट्टी करती लेकिन ऐसा इंजेक्शन लगाती है जिससे आपकी चीख निकल जाएगी और चीख के पीछे आप कह रहे होंगे कि स्वतंत्र भारत में कश्मीरी हिंदुओं का नरसंहार क्यों हुआ ? अगर हुआ तो उसे रोका क्यों नहीं गया? उसे देश से छिपाया क्यों गया ? फिल्म देखने के बाद आप चीखते हुए अगर इन सवालों को देश के कथित सेक्यूलर राजनेता, कथित लिबरल वर्ग और शांति के मसीहाओं से पूंछोगे और संकल्प लोगे कि अब हम दूसरा कश्मीर देश में नहीं दोहराने देंगे तभी इस फिल्म की सार्थकता सिद्ध होगी.