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को-ऑपरेटिव बैंकों को लेकर आए इस कानून से हो सकता है खाताधारकों पर असर

केंद्र सरकार के अध्यादेश पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हस्ताक्षर के बाद अब 1540 को-ऑपरेटिव बैंक और मल्टी स्टेट को-ऑपरेटिव बैंक रिजर्व बैंक के दायरे में आ गए हैं।

Abhishek Lohia
  • Jun 27 2020 12:58AM
केंद्र सरकार के अध्यादेश पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हस्ताक्षर के बाद अब 1540 को-ऑपरेटिव बैंक और मल्टी स्टेट को-ऑपरेटिव बैंक रिजर्व बैंक के दायरे में आ गए हैं। मोदी सरकार के इस नए नियम के बाद  8 करोड़ 60 लाख खाताधारकों की जमा राशि सुरक्षित होगी। ये सभी बैंक रिजर्व बैंक के सुपरविजन में आ गए हैं। सभी बैंकिंग नियम इन कोऑपरेटिव बैंकों पर लागू होगा। आइए जानें सरकार के इस आदेश का बैंक के ग्राहकों पर क्या असर पड़ेगा...

रिज़र्व बैंक के अधीन आने पर इन बैंकों को भी अब आरबीआई के नियम मानने होंगे जिससे देश की मौद्रिक नीति को सफल बनाने में आसानी होगी। इन बैंकों को भी अपनी कुछ पूंजी केंद्रीय बैंक के पास रखनी होगी। ऐसे में इनके डूबने की आशंका कम हो जाएंगी। वहीं रिजर्व बैंक यह तय करेगा कि को-ऑपरेटिव बैंकों का पैसा किस क्षेत्र के लिए आवंटित किया जाना चाहिए।

अगर अब कोई बैंक डिफॉल्ट करता है तो बैंक में जमा 5 लाख रुपये तक की राशि पूरी तरह से सुरक्षित है। बैंक डूब जाता है या दिवालिया हो जाता है तो उसके जमाकर्ताओं को अधिकतम 5 लाख रुपये ही मिलेंगे, चाहे उनके खाते में कितनी भी रकम हो। वहीं आपका एक ही बैंक की कई ब्रांच में खाता है तो सभी खातों में जमा अमाउंट पैसे और ब्‍याज जोड़ा जाएगा और केवल 5 लाख तक जमा को ही सुरक्षित माना जाएगा। 

को-ऑपरेटिव बैंक

ग्रामीण इलाकों में खेती व साख-सुविधाएं उपलब्ध कराने वाले सहकारी बैंकों की स्थापना राज्य सहकारी समिति अधिनियम के अनुसार की जाती है। इनका रजिस्ट्रेशन  “रजिस्ट्रार ऑफ को-ऑपरेटिव सोसाइटी के पास किया जाता है। प्राथमिक सहकरी साख समितियों की स्थापना गावों, नगर या कस्बों में होती है जो को-ऑपरेटिव बैंक के जरिए किसानों, कारीगर मजदूर या दुकानदार को कर्ज देतीं हैं। वहीं जिला सहकारी बैंक, राज्य सहकरी बैंक और भूमि विकास बैंक भी को-ऑपरेटिव बैंक ही होते हैं।

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