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बाल श्रमिक विद्याधन योजना क्‍या है, इसका फायदा कैसे मिलेगा?

इस योजना का मकसद अति गरीब परिवार के बच्‍चों को शिक्षित करना है. उनकी शिक्षा का खर्च सरकार उठाएगी. इस योजना में उन बच्‍चों को शामिल किया जाएगा जिन्‍हें परिवार की आर्थिक स्थिति के खराब होने के कारण मजदूरी करनी पड़ती है.

Abhishek Lohia
  • Jun 16 2020 12:04PM

उत्‍तर प्रदेश सरकार ने बाल श्रमिक विद्याधन योजना की शुरुआत की है. अंतरराष्ट्रीय बाल श्रम निषेध दिवस पर मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने इसका एलान किया. इस योजना का मकसद अति गरीब परिवार के बच्‍चों को शिक्षित करना है. उनकी शिक्षा का खर्च सरकार उठाएगी. इस योजना में उन बच्‍चों को शामिल किया जाएगा जिन्‍हें परिवार की आर्थिक स्थिति के खराब होने के कारण मजदूरी करनी पड़ती है.

कब हुई शुरुआत? 
इस योजना का एलान 12 जून को अंतरराष्‍ट्रीय बाल श्रम निषेध दिवस पर हुआ. इस योजना की शुरुआत करते हुए सीएम योगी आदित्‍यनाथ ने कई जिलों के बच्‍चों से वीडियो कॉन्‍फ्रेंसिंग के जरिये बातचीत की.

शुभारंभ पर सीएम ने क्‍या कहा? 
योजना की शुरुआत करते हुए सीएम योगी आदित्‍यनाथ ने कई बातों का जिक्र किया. इनमें योजना को शुरू करने का उद्देश्‍य भी साफ हो जाता है. उन्‍होंने कहा कि श्रमिक स्वाभिमानी होते हैं. हर विकास की बुनियाद में इनका खून-पसीना शामिल होता है. ऐसे में इनकी बेहतरी सरकार का फर्ज है. उज्‍ज्‍वला, उजाला, प्रधानमंत्री आवास, आयुष्मान भारत जैसी योजनाएं इस तबके को केंद्र में ही रखकर बनाई गई हैं. इसके बावजूद इस वर्ग के कुछ बच्चे परिवार की आय बढ़ाने के लिए पढ़ाई की उम्र में काम करने को मजबूर हैं. यह स्‍कीम ऐसे बच्‍चों का सहारा बनेगी. इसका मकसद बच्‍चों को बाल श्रम से अलग कर शिक्षा से जोड़ना है.

क्या है योजना?
योजना के तहत चयनित बच्‍चों की पढ़ाई का खर्च सरकार उठाएगी. लड़कों को हर महीने 1,000 रुपये और लड़कियों को 1,200 रुपये दिए जाएंगे. हाई स्कूल पास करने तक उन्‍हें यह सहायता राशि दी जाएगी. यदि ये बच्चे कक्षा 8, 9 और 10 पास करते हैं तो इनको हर कक्षा पास करने पर 6,000 रुपये की अतिरिक्त राशि मिलेगी.

कौन हैं पात्र? 
आठ से 18 साल के मजदूर बच्‍चे इस योजना के लिए पात्र होंगे. योजना से उन बच्‍चों को जोड़ा जाएगा जो संगठित या असंगठित क्षेत्र में परिवार के विषम हालात की वजह से परिवार की आय के लिए काम करते हैं. ये ऐसे परिवार के हो सकते हैं जिनके माता या पिता या दोनों की मौत हो चुकी है. माता या पिता दोनों स्थायी रूप से दिव्यांग हैं. महिला या माता परिवार की मुखिया है. माता-पिता दोनों को असाध्य रोग है या भूमिहीन हैं.

कितने बच्‍चों से हुई है शुरुआत? 
पहले चरण में 57 जिले के 2000 बच्चों को इसका लाभ दिया जा रहा है. अगले शैक्षणिक सत्र से श्रमिकों के बच्चों को गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा दिलाने के लिए अटल आवासीय विद्यालय भी बन कर तैयार हो जाएंगे. इन स्कूलों में पढ़ाई के साथ बच्चों को उनकी रुचि और क्षमता के अनुसार विकास करने का भी पूरा मौका मिलेगा.

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