Independence Day 2020: 15 अगस्त और 26 जनवरी को झंडा फहराने में ये है अंतर
जिस दिन से भारत आजाद हुआ है उस दिन से लेकर आजतक भारत के हर प्रधानमंत्री ने लाल किले से ध्वजारोहण किया है. दरअसल जिस दिन भारत को आजादी मिली थी उस दिन ब्रिटिश सरकार ने अपना झंडा उतारकर भारत के तिरंगे को उपर चढ़ाया था, इसलिए इस प्रक्रिया को ध्वजारोहण कहा जाता है.
74वां स्वतंत्रा दिवस अब बस कुछ दिनों की दूरी पर ही है. शनिवार को पीएम मोदी एक बार फिर से लाल किले की प्राचीर से तिरंगा लहराकर राष्ट्र को संबोधित करेंगे. हर साल स्वतंत्रा दिवस इसी तरह से मनाया जाता है. 15 अगस्त और 26 जनवरी दोनों की बहद अलग तरीके से मनाए जाते हैं. आइए जानते हैं आखिर इसके पीछे क्या है कारण.
15 अगस्त को होता है ध्वजारोहण
जिस दिन से भारत आजाद हुआ है उस दिन से लेकर आजतक भारत के हर प्रधानमंत्री ने लाल किले से ध्वजारोहण किया है. दरअसल जिस दिन भारत को आजादी मिली थी उस दिन ब्रिटिश सरकार ने अपना झंडा उतारकर भारत के तिरंगे को उपर चढ़ाया था, इसलिए इस प्रक्रिया को ध्वजारोहण कहा जाता है.
26 जनवरी को फहराया जाता है झंडा
जैसा की आप सभी जानते हैं कि 26 जनवरी को हमारे देश का संविधान लागू हुआ था, इसलिए उस दिन ऊपर से बंधे झँडे को केवल फहराया जाता है यही वजह है की उसे ध्वजारोहण नहीं कहते हैं बल्कि झंडा फहराना कहते हैं. इसके साथ ही 26 जनवरी को राष्ट्रपति झंडा फहराते हैं ना कि प्रधानमंत्री.
ऐसे अलग होते हैं दोनों समारोह
15 अगस्त लाल किले पर मनाया जाता है, क्योंकि जब देश आजाद हुआ था उस दौरान जवाहर लाल नेहरू ने लाल किला स्थित लाहौरे गेट के ऊपर से ध्वजारोहण किया था. वहीं, 26 जनवरी को संविधान लागू हुआ था इसलिए इसका आयोजन राज पथ पर होता है.
पीएम व राष्ट्रपति का संबोधन
15 अगस्त को प्रधानमंत्री लाल किले से देश को संबोधित करते हैं, जबकि भारत के राष्ट्रपति 14 अगस्त की पूर्व संध्या पर राष्ट्र को संबोधित करते हैं. वहीं 26 जनवरी को दोनों में से किसी का भी संबोधन नहीं होता है.
क्या है दोनों में अंतर
15 अगस्त में किसी भी खास मेहमान को न्यौता नहीं जाता है, ना ही इस दिन परेड का आयोजन किया जाता है. वहीं, 26 जनवरी समारोह में हर बार कोई खास मेहमान को न्यौता जाता है, साथ ही 26 जनवरी को सैनिको,अर्धसैनिक बलों की लंबी परेड़ होती है. यही नही देश के जल,थल और नभ सैन्य भी अपनी ताकत का प्रदर्शन करते हैं.
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