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शिवपाल यादव का ऐलान: 2022 में BJP को हराने के लिए भतीजे अखिलेश से करेंगे गठबंधन

शिवपाल सिंह यादव ने कहा कि भाजपा सरकार में किसान, मजदूर, बेरोजगार, नौजवान सब परेशान हैं. जबकि नोटबंदी का दर्द अब तक लोगों को झेलना पड़ रहा है.

Abhishek Lohia
  • Nov 20 2020 12:21AM
समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) से अलग होकर अपनी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) बनाने वाले शिवपाल सिंह यादव (Shivpal Singh Yadav) ने बड़ा ऐलान किया है. उन्‍होंने कहा कि 2022 विधानसभा चुनाव के लिए अलायंस करेंगे. हमारा संगठन 75 जिलों में पूरी तरह तैयार है. जबकि हमारी प्राथमिकता समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन की होगी. इसके अलावा हम अन्य पार्टियों के साथ भी अलायंस करेंगे. उन्‍होंने यूपी की योगी सरकार पर भी जमकर हमला बोला है. शिवपाल सिंह यादव ने कहा कि भाजपा सरकार में किसान, मजदूर, बेरोजगार, नौजवान सब परेशान हैं. जबकि नोटबंदी का दर्द अब तक लोगों को झेलना पड़ रहा है. यही नहीं, भ्रष्टाचार बढ़ा है और लोगों के काम सरकारी कार्यालयों में नहीं हो पा रहे हैं. वहीं उत्‍तर प्रदेश में विकास कार्य पूरी तरह से ठप हो गया है, तो राज्य सरकार का अपराधियों पर नियंत्रण नहीं है.

अखिलेश को लेकर कही थी ये बात
इससे पहले शिवपाल सिंह यादव ने अपने भतीजे को लेकर कहा था कि अखिलेश यादव से मेरा कोई मतभेद नहीं है. 2022 यूपी के विधानसभा चुनाव में अगर हमें सम्मानजनक सीटें मिलीं तो हम समाजवादी पार्टी से गठबंधन करेंगे.
दरअसल शिवपाल सिंह यादव की तरफ से लगातार समाजवादी पार्टी से गठबंधन कर अगला विधानसभा चुनाव लड़ने की बात कही जा रही है. उधर, संसदीय चुनाव में चारों खाने चित होने के बाद अखिलेश भी चाचा से गठबंधन करने को लेकर उत्सुक हैं. हालांकि शिवपाल यादव अपने भतीजे अखिलेश यादव के उस ऑफर को लेकर असमंजस में है, जिसमें शिवपाल के लिए जसंवतनगर विधानसभा सीट छोड़ने की बात कही गई और 2022 में राज्य में सपा सरकार बनने पर कैबिनेट मंत्री बनाने का ऐलान किया गया है.

बीजेपी को सत्ता से उखाड़ फेंकना है
इससे पहले शिवपाल यादव ने कहा कि कोई क्या कह रहा है हमें उस पर नहीं जाना है. सब बेकार की बातें हैं. पहले हमें अपनी पार्टी और संगठन मजबूत करना है, फिर बीजेपी को सत्ता से उखाड़ फेंकना है. शिवपाल ने कहा कि हमारी पार्टी यूपी के सभी जिलों में बन चुकी है.

गौरतलब है कि वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव से ऐन पहले अखिलेश और उनके चाचा शिवपाल के बीच सरकार तथा संगठन पर वर्चस्व को लेकर तल्ख़ियां बहुत बढ़ गई थीं. सपा के सत्ता से बाहर होने के बाद शिवपाल ने सपा से अलग होकर प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया के रूप में एक अलग पार्टी बना ली थी.

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