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ठीक महाराष्ट्र पालघर के ही अंदाज़ में कभी उडीसा में टुकड़ों में काट डाला गया था स्वामी लक्ष्मणानन्द जी को. तब भी थी एक भीड़ जिसे नफरत थी संतों से

उस समय भी खामोश थी सेक्युलर शक्तियाँ और वामपंथी वर्ग.

Sudarshan News
  • Apr 20 2020 5:09PM

महाराष्ट्र में २ भगवा वस्त्र धारी संतों की जिसप्रकार से निर्मम हत्या कर डाली गई उसको ले कर पूरी दुनिया के संत समाज और संतोंका सम्मान करने वाले समाज में हाहाकार मचा हुआ है. हर कोई इस मामले में बिनाविलम्ब अधर्मियों को फांसी की सजा देने की मांग कर रहा है लेकिन इसका सबसे कम असरइस मामले में सबसे बड़ी दोषी महाराष्ट्र साबित हो रही महाराष्ट्र पुलिस औरमुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे पर दिखाई दे रहा है जिन्होंने अब तक सुदर्शन न्यूज़ द्वारालगातार उठाये जाने के बाद मात्र ट्विटर पर ही अपनी प्रतिक्रिया दी है और सीधे सीधेइस मामले में धर्म की बात न करने का आदेश जारी किया है.

 सवाल ये है कि क्या ये घटना पहली बार हुई है औरक्या वामपंथी वर्ग के साथ स्वघोषित सेक्युलर समाज पहली बार शांत रहा है ? जी नहीं , इस से पहले भी ठीक इसी प्रकार से घटनाए हो चुकी हैं और तब भी निशाने पर भगवावस्त्र धारी संत थे. इस घटना ने एक बार फिर से हिन्दू साधू और संतो के खिलाफ समाजमें घोले जा रहे जहर को दुनिया के आगे रख दिया है. ध्यान देने योग्य है किमहाराष्ट्र की हृदय विराद्क घटना ने एक बार फिर से सबको उडीसा में इस से भी ज्यादानिर्ममता से मारे गये संत लक्ष्मणानन्द जी के समय की याद दिला दी है जिनकोकुल्हाड़ी से सिर्फ इसलिए काट डाला गया था क्योकि उन्होंने वहां धर्मांतरण और मजहबीउन्माद का विरोध किया था.

जितनी बेरहमी कभी ISIS , अल कायदा के आतंकियों ने नहीदिखाई होगी उस से कही ज्यादा बड़ी बेरहमी दिखाई गयी थी हिंदुत्व के इस पुरोधा कीसोची समझी हत्या में क्योंकि इनके रहते उड़ीसा के हिन्दू अपना धर्म त्यागने के लिएतैयार नहीं थे. उन्हें कत्ल करने की पहले से भी बहुत प्रयास किये गए जिसमे कुछप्रयास तो उन्हें डरा कर भगा देने के लिए थे पर उन्होंने अपना धर्म और स्थान नहीछोड़ा था और अंगद के पैर की तरह डटे रहेये कत्ल वो था जिसमे कहीं नकहीं आज के सहिष्णुता के ठेकेदारों का परोक्ष समर्थन या दूसरे शब्दों में कहें तोमिली भगत थी. 

कंधमाल उड़ीसा का वनवासी बहुलपिछड़ा क्षेत्र है। पूरे देश की तरह वहां भी 23 अगस्त, 2008 को जन्माष्टमी पर्व मनाया जारहा था। रात में लगभग 30-40 क्रूर चर्चवादियों ने फुलबनी जिले के तुमुडिबंधसे तीन कि.मी दूर स्थित जलेसपट्टा कन्याश्रम में हमला बोल दिया। 84 वर्षीय देवतातुल्य स्वामीलक्ष्मणानंद उस समय शौचालय में थे। हत्यारों ने दरवाजा तोड़कर पहले उन्हें गोलीमारी और फिर कुल्हाड़ी से उनके शरीर के टुकड़े कर दिये।

 

 

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