अब से कुछ ही देर में अमेरिका में 46वें राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान होगा. पूरी दुनिया कि नजर इस मतदान पर टिकी है और साथ ही इस बात को लेकर चर्चा जोरो पर है कि इस बार रिपब्लिकन प्रत्याशी डोनाल्ड ट्रंप दोबारा जीतेंगे या बाजी डेमोक्रेट प्रत्याशी जो बाइडेन मारेंगे. अमेरिका के सभी 50 राज्यों में एक साथ वोटिंग होगी. करीब 24 करोड़ मतदाना इस बार अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे.
9 करोड़ से ज्यादा लोगों ने डाला वोट
चुनाव दिवस की पूर्व संध्या पर कम से कम 9.2 करोड़ लोगों ने पहले ही मतदान किया है. यह 2016 के आम चुनावों में गिने गए कुल मतों में से लगभग दो-तिहाई है. यूएस टुडे में छपी खबर के अनुसार अमेरिका में 25.7 करोड़ से अधिक लोग 18 या उससे अधिक उम्र के हैं. करीब 24 करोड़ लोग इस साल वोटिंग के योग्य हैं. योग्य मतदाताओं में विदेश में रहने वाले अमेरिकी लोग भी शामिल हैं.
कब आएंगे नतीजे
पुख्ता तौर पर यह नहीं कहा जा सकता है कि इस बार वोटिंग के दिन यानि 3 नवंबर के रात में ही चुनाव परिणामों की घोषणा हो जाएगी. हालांकि नतीजों का अनुमान वोटिंग खत्म होते ही मिल जाएगा. इस बार मेल इन बैलेट और पोस्टल बैलेट का आंकड़ा बढ़ा है. पेन्सिलवेनिया और मिशिगन के अफसर कह चुके हैं कि काउंटिंग में उन्हें तीन दिन लग सकते हैं.
हालांकि अगर 48 राज्यों से साफ नतीजे आ गए तो पेन्सिलवेनिया और नॉर्थ कैरोलिना के मेल इन बैलट्स की गणना बहुत मायने नहीं रखेगा. अगर मुकाबला करीबी हुआ तो नतीजों के लिए तीन दिन इंतजार करना पड़ सकता है.
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में मतदाता सीधे राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार को वोट नहीं देते हैं. हर राज्य के निवासी इलेक्टर्स चुनते हैं. हर राज्य में एक निश्चित संख्या में इलेक्टोरल कॉलेज वोट होते हैं. यह राज्य की जनसंख्या पर निर्भर करता है. कुल 538 वोट होते हैं जिनमें से 270 या फिर उससे ज्यादा वोट जीतने के लिए हासिल करने होते हैं. जिस उम्मीदवार को 270 इलेक्टर्स का समर्थन मिल जाता है वह अमेरिका अगला राष्ट्रपति बनता है. 538 इलेक्टर्स में 435 रिप्रेजेंटेटिव्स, 100 सीनेटर्स और तीन डिस्ट्रिक्ट ऑफ कोलंबिया के इलेक्टर्स होते हैं.
मतदान भारतीय समय के मुताबिक शाम 5.30 बजे शुरु होकर बुधवार सुबह 6.30 बजे खत्म होगा. सबकी नजरें इस बात पर है कि डोनाल्ड ट्रंप या जो बिडेन में से कौन अमेरिका का अगला राष्ट्रपति बनेगा. अमेरिकी चुनाव के लिए नवंबर का पहला मंगलवार फिक्स होता है. इसी के तहत इस बार आज अमेरिकी जनता अपना वोट डालेगी.
अमेरिका में भारत के जैसे चुनाव कराने के लिए केंद्रीय चुनाव आयोग नहीं है. यहां चुनाव को लेकर सभी राज्यों के अलग-अलग नियम हैं. यूएस में मतगणना से पहले मतदान पर साइन, दस्तावेजों की जांच की जाती है. यहां अधिकतर राज्यों में पेपर वोटिंग होती है.