उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने मदरसों की पढ़ाई को आधुनिक बनाने के लिए अहम फैसला किया है। इस फैसले के तहत अब उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद में इतिहास, नागरिक शास्त्र, गणित और विज्ञान की भी पढ़ाई अनिवार्य कर दी गई है। मदरसों में कक्षा 1 से 12 तक सभी कक्षाओं में इन विषयों को अनिवार्य कर दिया गया है और अगले शैक्षणिक से इसे लागू कर दिया जाएगा।
असल में अभी तक उर्दू, हिंदी और अंग्रेजी ही मदरसों में अनिवार्य विषय थे, लेकिन नए विषयों के शामिल हो जाने के बाद अब कुल सात विषय अनिवार्य होंगे। मदरसा बोर्ड सीबीएसई के सिलेबस के अनुसार एनसीईआरटी की किताबों से अपनी पढ़ाई करवाएगा।
वैकल्पिक विषयों में उर्दू की अनिवार्यता खत्म होने के बाद बिना उर्दू विषय से पढ़ाई करने वाले अभ्यर्थी भर्ती के लिए आवेदन कर सकेंगे। सरकार का मानना है कि उर्दू की अनिवार्यता होने की वजह से इन विषयो के योग्य शिक्षक नहीं मिल पाते हैं, जिसके चलते मदरसों की गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा में भी कमी आई है। नियमों के मुताबिक अनुदानित मदरसों में 14 शिक्षकों में वैकल्पिक विषय पढ़ाने वाले दो शिक्षक रखे जाते हैं। प्रदेश में कुल 558 अनुदानित मदरसे हैं. लेकिन अधितर मदरसों में वैकल्पिक विषय पढ़ाने वाले शिक्षकों की कमी है।
आपको बता दें उत्तर प्रदेश सरकार से मान्यता प्राप्त अनुदानित मदरसों में गणित, विज्ञान, इतिहास और नागरिक शास्त्र अब अनिवार्य विषय के रूप में पढ़ाए जाएंगे। मदरसा बोर्ड की मंगलवार को बैठक में मदरसों को आधुनिक बनाने के लिए इन विषयों को ऐच्छिक से हटाकर अब अनिवार्य करने का निर्णय लिया गया है। इसके अलावा कोरोना काल से लंबित कामिल और फाजिल की अंतिम वर्ष की परीक्षाएं 25 से 30 अक्तूबर के बीच कराने पर भी सहमति बनी।
लेकिन आपको बता दें की इस्लाम समुदाय का एक धडा इससे नाराज है। जब इस मामले पर सुदर्शन के रिपोर्टर ने भाजपा नेता मोहसिन रजा से बात की तो उनका कहना था इससे संस्कृति और सभ्यता समझने में आसानी होगी जब हिन्दू शिक्षक भी मदरसे में पढ़ाएंगे तो उनके विचार मदरसे में पढने वाले छात्र जान पाएंगे और यह देश के संस्कृति को बढ़ावा देने में उत्तम तथा श्रेष्ठ कदम साबित होगा इसलामिक बच्चे नमस्कार और प्रणाम कह सकते है इससे उन्हें अपनात्वा की सिख मिल पाएगी ।