लखीमपुर खीरी में हुए खूनी संग्राम के बाद सियासी भूचाल लगातार आ रहे है . तमाम नेताओ के 'सियासी टूर' के बाद अब 'सियासी फैसलों' की बारी आ गई है . तमाम राज्य सरकारे अपने-अपने राज्य में लखीमपुर खीरी में हुए बवाल पर अपने प्रदेशो में विरोध जता रही है . इसी कड़ी में अब महाराष्ट्र सरकार भी जुड़ गई है .
दरअसल, महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ महाविकास अघाड़ी ने यह बंद बुलाया है। शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के साथ ही अन्य छोटे दलों ने बंद का समर्थन किया है। मुंबई समेत प्रदेश के अन्य बड़े शहरों में सुरक्षा के पुख्ता बंदोबस्त किए गए हैं। कहीं-कहीं व्यापारियों ने भी बंद का समर्थन किया है और शाम चार बजे तक दुकानें एवं प्रतिष्ठान बंद रखने का फैसला किया है। हालांकि दादर फूल मार्केट में सोमवार सुबह बंद का कोई असर देखने को नहीं मिला। यहां आम दिनों की तरह भीड़ देखी गई।
हमे दिखानी होंगी किसानो के संग एकजुटता : एनसीपी प्रवक्ता नवाब मालिक
उद्धव ठाकरे सरकार में मंत्री और एनसीपी के प्रवक्ता नवाब मलिक ने बताया कि बंद रात 12 बजे से शुरू हो गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने पहले कृषि कानूनों के माध्यम से कृषि उपज की लूट की अनुमति दी और अब उसके मंत्री के परिजन किसानों की हत्या कर रहे हैं।
हमें किसानों के साथ एकजुटता दिखानी होगी। पूरे मामले में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी का बेटा आशीष मिश्रा मुख्य आरोपी है। उसे गिरफ्तार कर लिया गया है। महाविकास अघाड़ी ने अजय मिश्रा के इस्तीफे की मांग की है।
महाराष्ट्र बंद के दौरान इन सेवाओं पर नहीं पड़ेगा प्रभाव
- अस्पताल और मेडिकल स्टोर खुले रहेंगे।
- रेलवे सेवा पर नहीं पड़ेगा प्रभाव।
- लोकल ट्रेन चलती रहेंगी, लेकिन कुछ जगहों पर 'रेल रोको आंदोलन' के कारण सर्विस प्रभावित हो सकती हैं।
- किराना, फल और सब्जी की दुकानें, दूध और बेकरी की दुकानें बंद नहीं होंगी।
- बंद के दौरान सरकारी और प्राइवेट ऑफिस खुलेंगे।
- स्कूल खुलेंगे, लेकिन बस और टैक्सी सर्विस बंद रहने के कारण छात्रों की संख्या प्रभावित हो सकती है।
- मुंबई में बेस्ट ने आधिकारिक रूप से इस बंद में शामिल होने का ऐलान नहीं किया है।
- सभी दुकानें और व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद रहेंगे।
- फेडरेशन ऑफ रिटेल वेलफेयर एसोसिएशन ने बंद का समर्थन किया है।
बीजेपी ने बंद का विरोध किया
नेता विपक्ष देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि प्राकृतिक आपदाओं और बाढ़ से राज्य के किसान बेहाल हैं। उसकी तरफ ध्यान देने के बजाय सरकार लखीमपुर खीरी घटना का राजनीतिक लाभ उठाने के लिए बंद का आयोजन कर रही है।