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भारत की आर्थिक प्रगति अधिक रफ्तार पकड़ती अगर देश की सीमाएं अधिक सुरक्षित रहतीं : अजीत डोभाल

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल ने कहा कि पिछले दस वर्षों में भारत तेजी से सशक्त हुआ है। हालांकि, अगर हमारे देश की सीमाएं अधिक सुरक्षित और प्रतिकूल कब्जेवाली नहीं होतीं, तो भारत ने अधिक रफ्तार से प्रगति की होती।

Ankur Pratap
  • May 25 2024 5:40PM
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल ने कहा कि पिछले दस वर्षों में भारत तेजी से सशक्त हुआ है। हालांकि, अगर हमारे देश की सीमाएं अधिक सुरक्षित और प्रतिकूल कब्जेवाली नहीं होतीं, तो भारत ने अधिक रफ्तार से प्रगति की होती। उन्होंने कहा कि जमीन पर जो कब्जा है वही अपना है, बाकी तो सब अदालत और कचहरी का काम है। उससे फर्क नहीं पड़ता।

एनएसए डोभाल ने क्या कहा? 

21वें अलंकरण समारोह में सीमा सुरक्षा बल (BSF) की तरफ से आयोजित रुस्तमजी मेमोरियल लेक्चर में एनएसए डोभाल ने कहा कि भारत की आर्थिक प्रगति अधिक रफ्तार पकड़ती अगर देश की सीमाएं अधिक सुरक्षित रहतीं। निकट भविष्य में हमें नहीं लगता है कि हमारी सीमाएं इतनी सुरक्षित हो जाएंगी कि हम तेजी से आर्थिक विकास कर सकें। इसलिए, सीमाओं पर तैनात सैन्य बलों के कंधों पर अधिक भार आ गया है। उन्हें हमेशा सतर्क रहना पड़ता है। उन्हें हर समय हमारे राष्ट्रीय हितों और देश की सुरक्षा का ध्यान रखना होता है।

भारत बहुत तेजी से बदल रहा है 

भारत की सीमाएं अधिक महत्वपूर्ण इसलिए हैं, क्योंकि वह हमारी संप्रभुता को परिभाषित करती हैं। उन्होंने कहा कि पिछले 10 वर्षों में भारत सरकार ने सीमाओं की सुरक्षा पर बहुत ध्यान दिया है। इसी अवधि में हमारी राष्ट्रीय ताकत भी बढ़ी है। एनएसए डोभाल ने कहा कि भारत बहुत तेजी से बदल रहा है। अगले दस सालों में हम दस ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी हो जाएंगे। साथ ही, दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएंगे, जो कि बहुत बड़ी बात है।

भारत के पास सबसे बड़ा कार्यबल है

डोभाल ने कहा कि भारत के पास सबसे बड़ा कार्यबल है। इसके साथ ही उच्च तकनीक के आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई), सेमीकंडक्टरों, क्वांटम कंप्यूटिंग और रक्षा व सुरक्षा निर्माण के विभिन्न क्षेत्रों में भारत के पास हब होगा। इस बदलते भारत में समृद्धि कुछ हद तक सुरक्षा की भी गारंटी बनेगी। उन्होंने कहा कि भारत ने इसी साल 31 मार्च तक 2.5 अरब डॉलर के हथियारों को निर्यात किया है। बड़ा निर्यातक बनने का यह कारनामा सरकारी नीतियों की आत्मनिर्भरता और आत्मनिर्भर भारत होने की दिशा में एक और कदम है।

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