22 अप्रैल को कश्मीर के पहलगाम में हुआ बर्बर आतंकी हमला भारत के सीने पर किया गया एक घाव था। लेकिन अब उस ज़ख्म का जवाब गोलियों से नहीं, बल्कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ से दिया गया है। भारतीय सेना ने आधी रात को दुश्मन की धरती पर ऐसा कहर बरपाया कि लश्कर और जैश के अड्डे खंडहर बन गए। पाकिस्तान और POK में कुल 9 आतंकी ठिकाने तबाह कर दिए गए, वह भी बेहद सटीक मिसाइल स्ट्राइक्स से।
रात के अंधेरे में भारतीय फाइटर जेट्स की गरज और आत्मघाती ड्रोन की चमक से पाकिस्तान का आसमान लाल हो गया। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि एक के बाद एक बमबारी होती रही और धरती थर्रा उठी। लड़ाकू विमानों का शोर और धमाकों की गूंज लगभग 40 मिनट तक जारी रही। और फिर… सन्नाटा। आतंक का हर ठिकाना राख हो चुका था।
पीड़ित परिवारों ने कहा- यह जवाब नहीं, यह न्याय है
जो चीखें 22 अप्रैल को गूंजी थीं, अब उनका जवाब धमाकों से मिला। एन. रामचंद्रन की बेटी आरती ने कहा, "मेरे पिता को मारने वालों को अब उनके घर में घुसकर जवाब मिला है। मोदी जी और सेना को मेरा सलाम।" वही हिमांशी नरवाल, जिसने अपने पति को खो दिया था – उनके आंसू अब संतोष में बदल चुके हैं।
संतोष जगदाले की बेटी असावरी ने साफ कहा, "मेरे पिता की शहादत अब व्यर्थ नहीं रही। भारत ने आतंकवाद के मुंह पर करारा तमाचा मारा है।"
ऑपरेशन 'सिंदूर'- एक नाम, जिसमें है हर विधवा का लहू
जब गृहमंत्री अमित शाह पहलगाम में श्रद्धांजलि देने पहुंचे थे, तब रोती-बिलखती विधवाओं की करुण पुकार ने देश को झकझोर दिया था। शायद यही वजह थी कि प्रधानमंत्री मोदी ने इस ऑपरेशन को 'सिंदूर' नाम दिया- एक ऐसा नाम जो हर उस महिला की मांग का प्रतीक है, जिसने इस हमले में अपना जीवनसाथी खोया।
बहावलपुर से मुरीदके तक तबाही
भारत ने इस बार कोई कोना नहीं छोड़ा। जैश का गढ़ बहावलपुर, लश्कर का बेस मुरीदके, हिजबुल के ट्रेनिंग कैंप से लेकर POK के सरजाल, गुलपुर, कोटली तक- हर जगह आतंकियों के अड्डे ध्वस्त कर दिए गए। ये ठिकाने न सिर्फ प्रशिक्षण केंद्र थे, बल्कि भारत में घुसपैठ की तैयारी का ज़हर उगलते थे।
भारतीय सेना की चेतावनी- अब बर्दाश्त नहीं, सिर्फ करारा प्रहार!
सेना की प्रेस कॉन्फ्रेंस में जब महिला अधिकारी कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने ऑपरेशन की जानकारी दी, तो देश ने साफ-साफ सुन लिया- अब भारत सिर्फ सहन नहीं करेगा, सीधे जवाब देगा। प्रेस ब्रीफिंग में संसद हमले से लेकर पुलवामा और पहलगाम तक के दृश्य दिखाए गए- यह सिर्फ जानकारी नहीं थी, यह चेतावनी थी।