महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम रोक लगा दी है। फिलहाल नौकरियों और कॉलेज दाखिलों में मराठियों को आरक्षण नहीं मिलेगा। पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स में फिलहाल जारी दाखिलों में आरक्षण की अनुमति होगी। सुप्रीम कोर्ट के 3 जजों की बेंच ने मराठा आरक्षण को चुनौती देने वाली याचिकाओं को बड़ी बेंच को सौंप दिया है।
महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण को लेकर दिये अपने अंतरिम आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि साल 2020-2021 में नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में एडमिशन के दौरान मराठा आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा। मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अगुवाई वाली तीन जजों की बेंच ने इस मामले पर विचार के लिए एक बड़ी बेंच को भेजा है। उन्होंने कहा कि मराठा आरक्षण की वैधता पर विचार करेगी।
गौरतलब है कि 30 नवंबर 2018 को महाराष्ट्र सरकार ने विधानसभा में मराठा आरक्षण बिल पास किया था। इसके तहत मराठी लोगों को राज्य की सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थाओं में 16 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया गया था। राज्य सरकार के इस कानून को हाईकोर्ट में चुनौती दी गयी। बॉम्बे हाई कोर्ट ने पिछले साल जून में इस कानून को बरकरार रखते हुए कहा कि 16 प्रतिशत आरक्षण उचित नहीं है। और हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि रोजगार में 12 प्रतिशत और एडमिशन में 13 प्रतिशत से अधिक आरक्षण नहीं होना चाहिए। बाद में इस कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी।
सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया था कि महाराष्ट्र सरकार के फैसले से आरक्षण की अधिकतम सीमा 50% के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उल्लंघन हो रहा है। सुप्रीम कोर्ट की 9 जजों की संविधान पीठ ने 1992 इंडिया साहनी मामले में आरक्षण की अधिकतम सीमा 50% तय की थी।