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ईएमआई(EMI) के जरिये क्रेडिट कार्ड बिल का पेमेंट करने के फायदे और नुकसान ?

केवल इमर्जेंसी मामलों में ही क्रेडिट कार्ड के बिलों को ईएमआई में बदलवाने के विकल्‍प के बारे में सोचना चाहिए. ऐसा तभी करना चाहिए जब आप समय से बिलों का भुगतान करने में बिल्‍कुल असमर्थ हों.

Abhishek Lohia
  • Jun 13 2020 3:00PM

क्रेडिट कार्ड के बिल का पेमेंट मासिक किस्‍तों (ईएमआई) में भी किया जा सकता है. इसका सीधा सा मतलब क्रेडिट कार्ड के बकाया को लोन में बदलवाना है. क्रेडिट कार्ड का बकाया चुकाने का यह तरीका कई लोग अपनाते हैं. इसका आपके क्रेडिट स्कोर पर कम असर पड़ता है. कह सकते हैं कि यह उन लोगों के लिए सुविधाजनक विकल्‍प है जो समय से क्रेडिट कार्ड के बकाये का पूरा भुगतान नहीं कर सकते हैं.

क्रेडिट कार्ड कई मायनों में सुविधाजनक है. तय तारीख के पहले बिलों का पेमेंट कर देने पर आपको कोई ब्‍याज नहीं देना पड़ता है. हालांकि, बिल की रकम को ईएमआई में बदलवाने पर ब्‍याज वसूला जाता है. बिल को ईएमआई में बदलवाने के लिए आपको अपने नेट बैंकिंग अकाउंट में लॉगिन-इन कर उपलब्‍ध विकल्‍प को चुनना पड़ेगा. ईएमआई के जरिये बिलों का भुगतान करने के लिए आप कस्‍टमर केयर हेल्‍पलाइन नंबर पर कॉल या कार्ड जारी करने वाले बैंक की शाखा में भी जा सकते हैं.

क्रेडिट कार्ड के बकाया को ईएमआई में बदलने पर आपका क्रेडिट कार्ड बिल छोटी-छोटी किस्‍तों में बदला जाता है. इसे हर महीने देना पड़ता है. ईएमआई में एक हिस्‍सा मूल रकम होता है. जबकि बाकी का ब्‍याज होता है. बिल की जितनी रकम ईएमआई में बदली जाती है, अमूमन बैंक उतनी कार्ड लिमिट को अस्‍थायी रूप से घटा देते हैं. ईएमआई के भुगतान के साथ यह क्रेडिट लिमिट भी धीरे-धीरे बढ़ती है.

क्‍या होती है फीस?

ईएमआई के जरिये क्रेडिट कार्ड बिल का भुगतान करने में कई तरह के चार्ज जुड़ते हैं. ब्‍याज के अलावा प्रोसेसिंग फीस, प्रीपेमेंट चार्ज और जीएसटी भी लग सकता है.

1. ब्‍याज दर बिल की रकम को ईएमआई में बदलवाने पर ब्‍याज वसूला जाता है. अलग-अलग कार्ड प्रदाता अलग-अलग दर से ब्‍याज वसूलते हैं. अमूमन ब्‍याज दर लोन की अवधि से जुड़ी होती है. अवधि जितनी लंबी होगी, ब्‍याज भी उतना ज्‍यादा होगा. अमूमन बैंक इसके लिए छह महीने से दो साल का वक्‍त देते हैं. 2. प्रोसेसिंग फीस कुछ बैंक कोई प्रोसेसिंग फीस चार्ज नहीं करते हैं. वहीं, कुछ अपफ्रंट लोन प्रोसेसिंग फीस वसूलते हैं.
2. प्रोसेसिंग फीस कुछ बैंक कोई प्रोसेसिंग फीस चार्ज नहीं करते हैं. वहीं, कुछ अपफ्रंट लोन प्रोसेसिंग फीस वसूलते हैं. 
3. प्रीपेमेंट चार्ज लोन ईएमआई अवधि से पहले पेमेंट करने पर बैंक प्रीपेमेंट चार्ज वसूल सकते हैं. लिहाजा, ऐसे किसी चार्ज को पहले ही देख लेना चाहिए.
4. जीएसटी जहां आवश्‍यक हो, वहां सभी चार्ज और फीस पर 18 फीसदी की दर से जीएसटी लागू होता है. ईएमआई ऑप्‍शन चुनने में लगाएं गणित अगर आपको लगता है कि ईएमआई ऑप्‍शन अच्‍छा है क्‍योंकि आपको एक झटके में बड़ी रकम नहीं देनी होगी तो दोबारा सोच लें. अमूमन जब आप ईएमआई की लंबी अवधि चुनते हैं तो बैंक कम ब्‍याज दर ऑफर करते हैं. लेकिन, इसका यह मतलब नहीं है कि दिया जाने वाला ब्‍याज कम होगा.

उदाहरण के लिए अगर आप तीन महीने की अवधि को चुनते हैं तो बैंक आपसे सालाना 20 फीसदी की ब्‍याज दर से चार्ज वसूल सकता है. लेकिन, एक साल की अवधि चुनने पर यह दर 15 फीसदी हो सकती है. इस तरह अगर आप कम दर के कारण 15 फीसदी वाले विकल्‍प को चुनते हैं तो वास्‍तव में आपको ज्‍यादा ब्‍याज देना होगा. इसे एक उदाहरण से समझते हैं.

मान लेते हैं कि आपके क्रेडिट कार्ड बिल की रकम 10,000 रुपये है.
अब मान लेते हैं कि आप 3 महीने (90 दिन) की अवधि का रिपेमेंट ऑप्‍शन चुनते हैं तो कुल ब्‍याज 493.15 रुपये [10,000 x (20%/365) x 90] बनेगा.
12 महीने की अवधि चुनने पर ब्‍याज के तौर पर 1,500 रुपये [10,000 x (15%/365) x 365] वसूले जाएंगे.

ईएमआई के जरिये क्रेडिट कार्ड बिल का भुगतान करने के नफे-नुकसान इस विकल्‍प को तभी चुनें अगर आप पैसे की किल्‍लत के कारण क्रेडिट कार्ड के पूरे बिल का भुगतान करने में असमर्थ हैं. वजह यह है कि समय से इन बिलों का भुगतान नहीं करने पर करीब 40 फीसदी की दर से फाइनेंस चार्ज वसूला जाता है. मिनिमम ड्यू अमाउंट का भुगतान न करने पर 1000 रुपये तक लेट पेमेंट फीस अलग से पड़ती है. इसका आपके क्रेडिट स्‍कोर पर काफी बुरा असर हो सकता है. इससे भविष्‍य में आपके लोन लेने की क्षमता पर असर पड़ेगा.

ईएमआई के जरिये लोन रिपेमेंट पर बैंकों की ब्‍याज दर फाइनेंस चार्ज से काफी कम होती हैं. हालांकि, क्रेडिट कार्ड बिल को ईएमआई में बदलवाने के साथ भी चार्ज लगते हैं और यह काफी महंगा विकल्‍प है.

कार्डहोल्‍डर को क्‍या करना चाहिए?

केवल इमर्जेंसी मामलों में ही क्रेडिट कार्ड के बिलों को ईएमआई में बदलवाने के विकल्‍प के बारे में सोचना चाहिए. ऐसा तभी करना चाहिए जब आप समय से बिलों का भुगतान करने में बिल्‍कुल असमर्थ हों.ईएमआई का विकल्‍प केवल तभी चुनें जब जानते हों कि आप समय से पेमेंट कर देंगे. ऐसा नहीं करने पर आपके क्रेडिट स्‍कोर पर असर पड़ेगा. -इस बात को सुनिश्चित कर लें कि बिल की रकम को ईएमआई में बदलने के लिए आपके पास स्‍पेंडिंग लिमिट बची हो. ऐसा नहीं होने पर आपका अनुरोध रिजेक्‍ट हो जाएगा.


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